Home उत्तर प्रदेश Lucknow: नहीं बदला जाएगा रामलीला का रास्ता

Lucknow: नहीं बदला जाएगा रामलीला का रास्ता

लखनऊः ऐशबाग की रामलीला को लेकर अभी तक यह साफ नहीं हो पाया था कि राम-भरत मिलाप किस रास्ते पर कराया जाएगा, लेकिन मीडिया के बार-बार सवाल उठाए जाने पर इसका निर्णय कर लिया गया है। अब श्रीराम का उनके भाई भरत से मिलाप पुराने रास्तों पर ही कराया जाएगा। इस दौरान आवागमन को पूरी तरह से बंद करा दिया जाएगा। वैकल्पिक मार्गां से ही लोग आ और जा सकेंगे। ऐशबाग में श्रीराम लीला समिति की ओर से 15 अक्टूबर को राम लीला का शुभारंभ किया गया था। यहां मुख्य आयोजन दशहरा के दिन होगा। इसमें राम बारात के दौरान ही राम-भरत मिलाप कराया जाएगा। शाम को श्रीराम के हाथों रावण वध किया जाएगा। पूर्व की भांति इस बार भी कुंभकर्ण और मेघानाद का पुतला नहीं जलाया जाएगा। इन दोनों के पुतलों को लखनऊ की तमाम रामलीलाओं से बीते साल से ही हटा दिया गया था।

अब तक हुए ये कार्यक्रम

शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन रामलीला मैदान ऐशबाग के तुलसी रंगमंच पर रामोत्सव-2023 की शुरूआत की गई थी। इसमें रामजन्म, ताड़का वध, मारीच सुबाहु वध और अहिल्या उद्धार लीला ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। रामोत्सव का विधिवत उद्घाटन राज्यसभा सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीरामलीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीश चन्द्र अग्रवाल और सचिव आदित्य द्विवेदी ने दीप प्रज्जवलित कर किया था। रामलीला में कई प्रसंग नए भी जोड़े गए, हालांकि इनके बारे में समिति की ओर से कुछ तर्क भी दिए गए। धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद, राम-जानकी विवाह लीला के मोहक प्रसंग बने। दूसरे दिन ही मंच पर फुलवारी लीला, जनक प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, राम-जानकी विवाह और विदाई लीला को दिखाया गया। इसी तरह रामलीला की तृतीय संध्या भी गुलजार रही। राम बारात का अयोध्या प्रस्थान, राम के राज्याभिषेक की घोषणा, दशरथ कैकेई संवाद, राम वन गमन और प्रजा विद्रोह लीला के अलावा लखनऊ के कई इंस्टिट्यूट के बच्चों को मंच मिला।

चौथे दिन निषादराज राम मिलन, केवट संवाद, सुमंत्र का वापस जाना, दशरथ विलाप, श्रवण कुमार कथा, दशरथ स्वर्ग, कैकेई भरत संवाद, मंथरा का महल से निष्कासन और कैकेई परित्याग लीला को मंच पर दर्शाया गया। पांचवें दिन की भी रामलीला काफी अच्छी रही। कुटिया निर्माण लीला, सीता स्वप्न दर्शन, भरत का वन प्रस्थान, निषाद राज भरत संवाद, भरत-राम मिलन, भरत का चरणपादुका लेकर वापस जाना, भरत का महल त्याग देना, नंदीग्राम गमन, कैकई भरत संवाद एवं कैकई विलाप लीला हुई। इस दिन मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने रामलीला का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर किया था।

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इस बार सतर्क है समिति

अभी दशहरा के दिन तक यहां रामलीला का भव्य आयोजन निरंतर चलता रहेगा। आधुनिकता से सुसज्जित पक्का मंच पाकर यहां कई प्रांतों से आए कलाकार भी गदगद हैं। उनको इस बात का तनिक भी अफसोस नहीं है कि यहां के रावण दहन में रावण का पुतला छोटा किया जाना है। रामलीला समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि तमाम गोला और बारूद को रावण के पुतले से हटा दिया गया। अब यह इसके हिस्से नहीं हैं। उनका कहना है कि यह केवल प्रतीक मात्र हैं। पुतले की लंबाई और चौड़ाई से फर्क नहीं पड़ता है। समिति की ओर से बताया गया कि एक बार यहां दशहरा के दौरान रावण के पुतले की चिंगारी से कॉलोनी की कई पानी की टंकियों में आग लग गई थी। लोगों का काफी नुकसान हुआ था। तभी से इसके आकार को कम कर दिया गया। घासफूस की जगह अब प्लाई का पुतला बनाने में ज्यादा दिलचस्पी रहती है। इस बार का रावण दहन भी ऐतिहासिक ही होगा।

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