Home उत्तर प्रदेश नगर आयुक्त के पास मिली मायूसी तो मेयर के पास पहुंचे फरियादी

नगर आयुक्त के पास मिली मायूसी तो मेयर के पास पहुंचे फरियादी

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Lucknow: शहर में इन दिनों नाली, खड़ंजे और इंटरलॉकिंग के लिए भागमभाग मची है। कुछ लोग नगर आयुक्त के पास तो कुछ मेयर के पास पहुंच रहे हैं। कई दर्जन पत्र हर दिन नगर निगम से होने वाले कार्यां से संबंधित मेयर कार्यालय या फिर नगर आयुक्त के पास पढ़े जा रहे हैं। सबकी परेशानी लगभग एक जैसी ही है। एक-एक फरियादी कई-कई पत्र लिख रहा है। यह पत्र मेयर के अलावा नगर आयुक्त के पास भी पहुंच रहे हैं। सवाल यह है कि यदि आम लोगों के काम आसानी से हो रहे हैं तो यहां के नागरिकों को कई जगह भटकना क्यों पड़ रहा है?

महापौर के पास पहुंच रहे लोग

सितंबर और अक्टूबर में शहर की सड़कों के लिए टेंडर निकाले जाते हैं। इसके लिए काफी दिनों से लोग इंतजार करते रहते हैं। बीते साल कई स्थानों पर भ्रष्टाचार हावी रहा तो इस बार भी लोगों के काम आसानी से नहीं हो रहे हैं। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल के पास कई ऐसे पत्र रोज पहुंच रहे हैं, जो नाली और इंटरलॉकिंग से संबंधित होते हैं। इनमें ज्यादातर नए गांवों के लोगों के होते हैं। कुछ पत्र तो नगर आयुक्त के पास पिछले साल के हैं, लेकिन इनको नजरंदाज किया गया तो यही पत्र अब लोग महापौर के पास लेकर पहुंच रहे हैं।

सर्वे होने बाद तैयार होगी फाइल

ऐसी भी समस्याएं हैं, जिनके टेंडर बीते साल हो चुके थे, वह काम भी आसानी से नहीं हो रहे हैं। इसलिए शहर की मेयर पर लोगों का ज्यादा भरोसा है। लेकिन पत्र कहीं खो न जाए, इसलिए कुछ तो दो बार से भी ज्यादा यहां पहुंचाए जा चुके हैं। मैडम का कहना है कि एक समस्या के लिए कई पत्र आने से दिक्कत होती है। बता दें कि इंटरलॉकिंग या फिर नाली बनवाने के लिए पहले आवेदन देना अनिवार्य होता है। इसके कुछ लोग नगर आयुक्त के पास भी पत्र देते हैं। संबंधित पत्र आवेदन देने वाला जिस जोन का रहनेवाला होता है, वहां भेज दिया जाता है। जोन के अधिकारी और कर्मचारी यहां का सर्वे कराकर फाइल तैयार करते हैं। यही फाइल एक कड़ी की तरह चलती है।

नगर आयुक्त के पास दर्जनों फाइलें

जोन से निकाल कर इसे चीफ इंजीनियर और अपर नगर आयुक्त के पास भेजा जाता है। इसके बाद नगर आयुक्त के पास यही फाइल बजट सेंसन के लिए पहुंचाई जाती है। इन दिनों नगर आयुक्त के पास दर्जनों फाइलें साइन के लिए पड़ी हैं। इनके लिए बजट नहीं मिल रहा है। पिछले साल भी कई कार्य बजट न मिलने के कारण रोक दिए गए थे। इंटर लॉकिंग के लिए जो इस्टीमेट बनता है, उसमें पहले तो करीब 80 मीटर की फाइल तैयार कराई जाती है। बीते साल तमाम फाइलें टुकड़ों में तैयार कराई गईं। इस कार्य के लिए नगर आयुक्त का कोटा और फिर महापौर का कोटा दिया गया। अब जो फाइलें यहां सेंसन के लिए हैं, उनसे संबंधित फरियादी शिकायत कर रहे हैं। नगर आयुक्त के दफ्तर में 30 मीटर 32 मीटर की दूरी पर इंटरलॉकिंग के लिए फाइलें पहुंचाई गई हैं। बताया जा रहा है कि इस कार्य को पूरा कराने में करीब पांच लाख का खर्च आता है।

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कई जगहों पर शूरू किए गए काम

यदि नगर आयुक्त ने इन पर हस्ताक्षर नहीं किए तो यह काम फिर रूक जाएगा। इंटरलॉकिंग के लिए आवेदन उस क्षेत्र के ज्यादा हैं, जहां पर जलभराव होता है। लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि कई स्थानों पर काम शुरू करा दिए गए हैं। शहर के लोग अपने हैं, इसलिए इनकी परेशानी दूर की जाएगी। उधर, कार्य रोकने का आधार न होने के बाद भी स्वीकृति नहीं मिल पा रही है, जबकि नगर आयुक्त का कहना है कि कुछ कार्य अलग-अलग योजनाओं से कराए जाएंगे।

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