बेगूसरायः साल भर होने वाले एकादशी में सबसे पवित्र देवोत्थान एकादशी सोमवार को श्रद्धापूर्वक मनायी जा रही है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों तथा मठ-मंदिरों में पूजा-अर्चना की। आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी के दिन क्षीरसागर में सोए भगवान विष्णु चतुर्मास समाप्त होने पर सोमवार को जग गए हैं। देवोत्थान एकादशी के साथ चार महीनों से मांगलिक कार्य पर लगी रोक समाप्त हो गई तथा आज से सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। हालांकि तिथि, नक्षत्र और ग्रहों का योग सही नहीं रहने के कारण शहनाई अगले सप्ताह से बजेगी। परंपरा के अनुसार वर-वधु के कुंडली में 36 बिंदुओं पर मिलान के बाद शादी की तिथि तय होती है, जिसके कारण 21 नवंबर से विवाह का शुभ लग्न बन रहा है।
पंचांग के अनुसार इस पंचांग वर्ष में नवंबर से अगले वर्ष जुलाई तक शादी का 53 शुभ मुहूर्त है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक सोमवार को देवोत्थान एकादशी के साथ चतुर्मास समाप्त हो गया है। लेकिन शादी विवाह सिर्फ तिथि ही नहीं, नक्षत्र, माह, तिथि, पंचश्लाका वेध, लग्न तथा शुभ ग्रह के हिसाब से तय होता है। आज देवोत्थान एकादशी के बाद 17 नवंबर को संक्रांति प्रवेश कर रहा है, 18 नवंबर को चतुर्दशी तिथि, 19 नवंबर को पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र तथा 20 नवंबर को शनिवार के दिन अगहन प्रवेश कर रहा है, जिसके कारण 21 नवंबर रविवार के दिन द्वितीया तिथि से विवाह आदि मंगल कार्यों की शुरुआत होगी।
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नवंबर में 21, 22 एवं 29 को, दिसंबर में 1, 2, 5, 6, 8, 9 एवं 13 को, जनवरी में 23, 24 एवं 27 तथा फरवरी में 2, 6, 7, 10 एवं 11 को विवाह की शुभ तिथि है। 16 दिसंबर से पौष माह प्रवेश होने के बाद संक्रांति के अनुसार 15 जनवरी तक पंचश्लाका वेध के कारण तथा मार्च में खरमास रहने के कारण शादी नहीं होगी। उसके बाद अप्रैल में 17, 20, 21, 22, 24, 25, 27 एवं 28 को, मई में 2, 9, 11, 12, 13, 18, 20, 22, 25, 26, 27 एवं 30 को, जून में 1, 5, 6, 9, 10, 13, 19, 22, 24 एवं 26 को तथा जुलाई में 3, 4, 6 एवं 8 को शादी का शुभ मुहूर्त है।
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