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भगवान शिव को अति प्रिय है श्रावण मास, व्रत का संकल्प लें इस विधि से करें पूजा

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नई दिल्लीः भगवान शिव का सावन माह अति प्रिय है। पूरा सावन माह महादेव को समर्पित रहता है। सावन माह के सभी सोमवार, प्रदोष, तेरस (त्रयोदशी) एवं चतुर्दशी पर महादेव की आराधना के लिए शिवभक्त लालायित रहते है। इन दिनों में महादेव की विशेष पूजा, व्रत, रूद्राभिषेक, जलाभिषेक सनातन धर्म में लगभग सभी घरों में होता है। इस बार सावन माह की शुरूआत 25 जुलाई रविवार से हो रही है। कृष्ण पक्ष की द्वितीया और शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि का क्षय होने के कारण सावन माह 29 दिन का है। माह में कृष्ण पक्ष पूरे 15 दिन का होगा। वहीं शुक्ल पक्ष 14 दिन का है। दिव्य मास में चार सोमवार पड़ रहे है। सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को, दूसरा सोमवार 2 अगस्त को, तीसरा सोमवार 9 अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है। जीवन में आरोग्य के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।

भगवान शिव की पूजन विधि सावन माह का आज पहला सोमवार है। इसलिए प्रातःकाल के समय स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर अथवा घर में ही भगवान शिव की विधि-विधान पूर्वक पूजा करें। भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र, भांग, धतूरा, मदार और सफेद पुष्प अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप से भगवान की स्तुति करें। इस दिन सोमवार व्रत कथा और शिव आरती का पाठ अवश्य करें। सावन माह में प्रतिदिन 21 बेलपत्रों पर चंदन से ‘ऊं नमः शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सोम प्रदोष व्रत रखने से शिवभक्तों के सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। व्रत की कथा सुनने मात्र से ही गौ दान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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सावन माह की पौराणिक कथा पौराणिक कथाओं के मुताबिक सावन मास में ही देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था। इस दौरान जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने अपने कंठ में समाहित कर पूरे सृष्टि की रक्षा की थी। विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने महादेव को जल अर्पित किया था। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का खास महत्व है। यही वजह है कि सावन मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।