उत्तर प्रदेश

कोरोना के नाम पर निजी अस्पतालों में लूट और मनमानी से आक्रोश

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वाराणसीः गहराते कोरोना संकट के बीच संक्रमितों मरीजों के इलाज के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुछ अस्पताल प्रबंधन ने लूट मचा रखी है। महामारी के दौर में पीड़ित मानवता की सेवा के बजाय अस्पताल प्रबंधन इस कदर संक्रमित मरीजों को आर्थिक रूप से लूट खसोट रहे हैं कि लोगों को अपनों की जान बचाने के लिए घर, खेत और आभूषण तक गिरवी रखना पड़ रहा है। इस लूट खसोट अभियान में कुछ अस्पताल प्रबंधन इतने बेखौफ हो चले हैं कि सामान्य मरीजों के साथ शहर के विशिष्ट लोगों को भी नही छोड़ रहे। हद तो ये है कि मरीज के भर्ती के समय इलाज के नाम पर लाखों रूपया जमा करा लेने के बाद भी हद दर्जे की लापरवाही बरत रहे है। ऐसा ही मामला प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नू लाल मिश्र के साथ सामने आया है।

पंडित जी की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा का दो दिन पूर्व मैदागिन स्थित मेडविन अस्पताल में निधन हो गया। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से वह मेडविन अस्पताल में भर्ती थीं। परिजनों का आरोप था कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में लापरवाही बरती है। अस्पताल में सोमवार को पहुंची पंडित जी की छोटी पुत्री डॉ. नम्रता मिश्र ने प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। डॉ. नम्रता अस्पताल प्रबंधन से बड़ी बहन के भर्ती वाले दिन से लेकर मृत्यु के समय तक का सीसीटीवी फुटेज मांगती रही। नम्रता ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उनकी बड़ी बहन की हत्या की गई है। सूचना पाते ही मौके पर कोतवाली प्रभारी भी सदल बल पहुंच गये। पुलिस अफसरों ने नाराज डॉ.नम्रता को समझा बुझा कर घर भेजा। इस दौरान डॉ. नम्रता ने अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. मनमोहन श्याम के खिलाफ लिखित तहरीर भी दी। डॉ नम्रता मिश्रा ने बताया कि भर्ती के दिन से ही अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि प्रतिदिन अपने मरीज को अपरान्ह 2 से शाम 4 बजे तक सीसीटीवी फुटेज में देख सकते हैं।

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नम्रता ने बताया कि पहले दिन हम लोग डेढ़ लाख रुपये जमा करके यहां से चले गए। उस समय मेरी मां की तबियत भी खराब थी । दीदी को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद मां को देखने चले गये। दूसरे दिन बड़ी बहन को देखने यहां अस्पताल में आये तो बताया गया कि सीसीटीवी खराब है । इस पर हम लोगों ने कहा कि मरीज का वीडियो बनाकर ले आइये। इस पर भी टालमटोल किया गया। 26 अप्रैल को मेरी मां की मृत्यु हो गयी। उसके बाद लगातार तीन दिन मेरे पिताजी पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा फोन से अस्पताल प्रबंधन से विनती करते रहे कि मेरी बेटी का चेहरा एक बार दिखा दीजिये। इसी दौरान मेरी माता जी की मौत हो गई। एक दिन बाद हम लोग फिर अस्पताल आये तो प्रबंधन ने वीडियो कॉल या सीसीटीवी दिखाने से साफ मना कर दिया। इसके बाद हमलोगों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सूचित किया। उसी दिन शाम को जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने मामले में हस्तक्षेप किया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से बात किया तब अस्पताल प्रबंधन ने दीदी से एक बार वीडियो कॉल पर बात कराया। उसके तीन दिन बाद भोर में 2रू55 बजे अस्पताल से फोन आया कि सॉरी हम लोग संगीता मिश्रा को नहीं बचा पाए। डॉ.नम्रता ने अफसरों से इस मामले को संज्ञान लेते हुए सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।