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यहां है एक अनोखी लाइब्रेरी, जहां बस में बैठकर किताब पढ़ते हैं लोग

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नई दिल्ली : आपने पहले कई तरह की लाइब्रेरी (library) देखी होगी। ऐतिहासिक इमारतों में बनी लाइब्रेरी (library) हो या मोबाइल लाइब्रेरी, आपने इनके बारे में जरूर सुना होगा, लेकिन हम आपको एक अनोखी लाइब्रेरी के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, ये लाइब्रेरी (library) है ओडिशा के भुवनेश्वर में, जहां कला भूमि शिल्प संग्रहालय के परिसर में एक पुराने बस को लाइब्रेरी में बदल दिया गया है। इस पुस्तकालय की खास बात है कि यहां उड़िया और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के करीब 4 हजार से ज्यादा किताबें पाठकों के लिए उपलब्ध हैं। इस पुस्तकालय की स्थापना बकुल फाउंडेशन और हथकरघा, कपड़ा और हस्तशिल्प विभाग और SIDAC के सहयोग से की गई है।

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कहते हैं किताबें मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं और अगर अच्छी किताबें सुलभता से मिल सकें तो पढ़ने में रुचि रखने वाले वहां पहुंच ही जाते हैं। पाठकों की इस रुचि को ध्यान में रखते हुए और अच्छी पुस्तकों को आम जनमानस तक सुलभता से पहुंचाने के लिए इस बेकार पड़ी बस को आज लाइब्रेरी में बदल दिया गया है। यहां महापुरुषों के जीवन पर आधारित किताबों के साथ ही बच्चों के लिए भी तरह-तरह की किताबें मौजूद हैं। बकुल फाउंडेशन के संस्थापक सुजीत महापात्रा कहते हैं कि पुस्तकालय नियमित कहानी व शिल्प व कला सत्र भी आयोजित करेगा।

बस को लाइब्रेरी में बदलने के लिए बीच की सीटों को हटाकर किताबें रखने की व्यवस्थित ढंग से किताबें रखने की जगह बनाई गई है। इसके साथ ही पाठकों की सुविधा के लिए पंखा व सीट भी लगाए गए हैं। पाठकों को आकर्षित करने के लिए बस के बाहर सुंदर कलाकृतियां बनाई गई हैं। बता दें कि स्थानीय लोगों को OSRTC बस में नई लाइब्रेरी (library) काफी पसंद आ रही है और यहां रोज पाठक आते हैं और सीट पर बैठकर अपनी मनपसंद किताब पढ़ते हैं।

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