पटना: इन दिनों द प्लूरल्स पार्टी की विधानसभा प्रत्याशी पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार की राजनीति में काफी सुर्खियों में हैं। पुष्पम प्रिया दो सीटों से चुनाव लड़ रही हैं। जिसमें से एक सीट पर उनके खिलाफ कांग्रेस से शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे चुनाव मैदान में हैं, लेकिन फिर भी पुष्पम अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। पुष्पम हमेशा ब्लैक ड्रेस में नजर आती हैं। आखिर उनकी ब्लैक ड्रेस पहनने की वजह क्या है? ये कोई टोटका है, या फिर बात कुछ और ही है..? इसके बारे में पुष्पम ने क्या बताया आइए जानते हैं...
मार्च 2020 में खुद को बिहार का सीएम कैंडिडेट घोषित करने के बाद चर्चा में आईं पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। पुष्पम प्रिया बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मधुबनी जिले की बिस्फी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। पुष्पम प्रिया के नए प्रयोग उन्हें सुर्खियों में रखे हुए हैं। हाल ही में जब उनके प्रत्याशियों ने नामांकन किया, तो नामांकन पत्र में जाति के स्थान पर पॉलिटीशियन और धर्म के स्थान पर बिहारी लिखा गया। हालांकि इसके पीछे पुष्पम प्रिया का मानना है कि राजनीति जाति और धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि विकास के लिए होनी चाहिए।
काले कपड़े पहनने की ये बताई वजह-लंदन से पढ़कर लौटीं पुष्पम प्रिया चौधरी का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ। उनके पिता विनोद चौधरी बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और वे जेडीयू से विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। पुष्पम प्रिया चौधरी का दावा है कि वे बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव चाहती हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर अच्छी आर्थिक नीतियां नहीं हैं। वे लंदन से इकोनॉमिक्स पॉलिसी की ट्रेनिंग लेकर आई हैं। बिहार में इकॉनामिक अपॉर्चुनिटीज लाना चाहती हैं। पुष्पम प्रिया से जब हमेशा ब्लैक ड्रेस में रहने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि काले कपड़े इसलिए पहनती हैं, क्योंकि देश के बाकी नेता उजले कपड़े पहनते हैं।
यह भी पढ़ें- ताइवान की राष्ट्रपति भारतीय खाने की हैं मुरीद, बताई अपनी फेवरेट डिशसाथ ही पुष्पम प्रिया ने कहा भारतीय संविधान में नेताओं के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है। हाल ही में एक इंटरव्यू में पुष्पम ने खुद को नेताजी कहने पर भी ऐतराज उठाया। उन्होंने कहा वह नेताजी नहीं हैं। वो सिर्फ पॉलिसी मेकर बनना चाहती हैं।पुष्पम प्रिया ने कहा कि असली नेताजी तो सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण थे।