मथुरा: लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने मंगलवार को यमुनापार स्थित शिव मंदिर में शिव तांडव स्तोत्र के रचयिता दशानन की महाआरती की और रावण के रूप में भगवान भोलेनाथ की पूजा की। इस मौके पर भक्त मंडल ने रावण का पुतला जलाने का भी विरोध किया।
विजयदशमी के मौके पर जहां देशभर में रावण दहन किया जा रहा है, वहीं लंकेश भक्तों ने यमुना पार स्थित शिव मंदिर में रावण के स्वरूप की विधि-विधान से पूजा की। सारस्वत ब्राह्मणों के अलावा अन्य शिवभक्तों ने भी रावण की महाआरती की। रावण के स्वरूप के माध्यम से सनातन विधि से भगवान भोलेनाथ के शिव लिंग पर जलाभिषेक किया गया। रावण के स्वरूप और शिवभक्तों द्वारा भोले नाथ की आरती की गई। फिर लंकेश भक्तों द्वारा महाराज दशानन की महाआरती की गई।
इस अवसर पर लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने कहा कि रावण महान विद्वान एवं प्रकांड विद्वान था। भगवान श्री राम ने लंका पर विजय पाने के लिए रावण से भगवान भोलेनाथ की पूजा करवाई थी। रावण सीता जी को अपने साथ अशोक वाटिका ले आया था। जब भगवान श्रीराम ने उन्हें अपना आचार्य बनाया था तो हमारे समाज के कुछ लोग उनका पुतला जलाकर उनका अपमान क्यों कर रहे हैं। हिंदू संस्कृति में किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार केवल एक बार किया जाता है। महान और बुद्धिमान महात्मा रावण का पुतला जलाना बंद किया जाना चाहिए। जिस प्रकार सती प्रथा बंद हुई है उसी प्रकार रावण का पुतला जलाना भी बंद होना चाहिए। रावण का पुतला जलाना एक तरह से ब्राह्मणों के साथ-साथ विद्वता का भी अपमान है।
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इस अवसर पर संजय सारस्वत, देवेन्द्र वर्मा, हरिश्चंद सारस्वत, ब्रजेश सारस्वत, सुनील सारस्वत, एसके सारस्वत, यमुना प्रसाद यादव, चन्द्रमोहन सारस्वत देवेन्द्र सारस्वत किशन सारस्वत, अनिल सारस्वत, अजय सारस्वत कृष्ण गोपाल सारस्वत मुकेश सारस्वत, ड्रा देव बालयोगी, रजत सारस्वत दर्जनों भूपेन्द्र धनगर, अरुण भारद्वाज आदि लोग मौजूद रहे। मंदिर में जय लंकेश, जय शिव के नारे भी लगे।
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