कोलकाता: पुलिस ने पश्चिम बंगाल छात्र संगठन द्वारा आयोजित नाबन्ना अभियान (Nabanna Abhiyan) के पीछे एक सुनियोजित साजिश का आरोप लगाया है। इस साजिश के तहत महिलाओं और छात्रों को आगे कर स्थिति को भड़काने की कोशिश की जा सकती है, जिसके चलते पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। अब मंगलवार सुबह से ही राज्य सचिवालय और आसपास के इलाके में सादे कपड़ों में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है, जो पूरी स्थिति पर नजर रख रहे हैं।
सभी विभागों को किया गया अलर्ट
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नाबन्ना अभियान के दौरान आम लोगों की भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व एकजुट होकर बड़े पैमाने पर अशांति, हिंसा और अराजकता फैला सकते हैं। पुलिस का मानना है कि इन असामाजिक तत्वों का उद्देश्य महिलाओं और छात्रों को आगे कर ऐसा माहौल बनाना है, जिसके चलते स्थिति तुरंत हिंसक और अराजक हो जाए। ऐसी स्थिति में पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
पुलिस एडीजी (कानून व्यवस्था) मनोज वर्मा, एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रितिम सरकार, हावड़ा पुलिस आयुक्त प्रवीण त्रिपाठी, हावड़ा (ग्रामीण) पुलिस अधीक्षक स्वाति भंगालिया और कोलकाता पुलिस डीसी (मध्य) इंदिरा मुखर्जी ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि पुलिस के पास इस साजिश के बारे में पुख्ता जानकारी है और सभी संबंधित विभागों को सतर्क कर दिया गया है। मनोज वर्मा ने कहा कि सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। पुलिस के पास उपलब्ध खुफिया जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में असामाजिक तत्व हिंसा भड़काने की योजना बना रहे हैं, ताकि वे पुलिस कार्रवाई का फायदा उठा सकें।
हिंसा को रोकने के पूरे इंतजाम
पुलिस ने इस ऑपरेशन के लिए व्यापक सुरक्षा उपाय किए हैं। राज्य भर से पुलिस बल बुलाया गया है और नाबन्ना के अंदर और बाहर सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अतिरिक्त सतर्कता भी बरती जा रही है। सुरक्षा के लिए रैपिड एक्शन फोर्स, ईएएफआर और स्ट्रैको के कुल 2100 जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा 13 पुलिस अधीक्षक, 15 एएसपी व एडीसीपी, 22 डीएसपी व एसीपी और 26 इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों को भी सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, अनुभवी अधिकारियों का कहना है कि चुनाव के समय चुनाव आयोग असामाजिक तत्वों को पहले से गिरफ्तार करने का तरीका अपनाता है, ताकि चुनावी हिंसा को रोका जा सके।
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ऐसे में सवाल उठता है कि जब पुलिस को साजिश की जानकारी पहले से होगी तो क्या वह असामाजिक तत्वों को पहले से गिरफ्तार करेगी? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भड़काऊ वीडियो फैलाने वाले असामाजिक तत्वों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरूर की जाएगी।
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