नई दिल्लीः कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह की यह पूर्णिमा का धार्मिक परम्पराओं में विशेष महत्व है और इसे वर्ष की सबसे पवित्र पूर्णिमा में से एक माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान या त्रिपुरा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान और दान करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इसे त्रिपुरा पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने के चलते एक दिन पूर्व 7 अक्टूबर (सोमवार) को गंगा स्नान किया जा रहा है। कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली पर सोमवार को काशीपुराधिपति की नगरी काशी में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं और गंगा में दीपदान कर दान पुण्य भी कर रहे हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का मुहूर्त
चंद्रग्रहण के चलते सूतक काल को देख श्रद्धालु एक दिन पहले ही देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा मना रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा की शुरूआत सोमवार शाम 4 बजकर 15 मिनट से हो रही है, समापन 08 नवम्बर की शाम 4 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है। परम्परानुसार उदया तिथि में गंगा स्नान और त्यौहार मनाने की परम्परा है। लेकिन चंद्रग्रहण के चलते सूतक काल को देख बड़ी संख्या में श्रद्धालु आज गंगा में स्नान कर रहे हैं और कल भी करेंगे।
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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
सनातन भारतीय संस्कृति के स्नान पर्वों में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान की महत्ता पुराणों में भी वर्णित है। इस दिन गंगा स्नान करने से वर्ष भर गंगा स्नान करने बराबर के फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का वध किया था। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में या तुलसी के समीप दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
तुलसी माता का पृथ्वी पर आगमन
पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवी तुलसी का भगवान के शालिग्राम स्वरूप से विवाह हुआ था और पूर्णिमा तिथि को देवी तुलसी का बैकुंठ में आगमन हुआ था। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी तुलसी की पूजा का खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देवी तुलसी का पृथ्वी पर भी आगमन हुआ है। इस दिन नारायण को तुलसी अर्पित करने से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
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