रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की अदालत में अस्सिटेंट इंजीनियर नियुक्ति में पीटी में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने जेपीएससी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि हजारों छात्रों का भविष्य अंधेरे में डाल रही है जेपीएससी। सुनवाई के दौरान जेपीएससी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को आरक्षण के मामले में जानकारी दी।
अब मामले में बुधवार को फिर सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है। अदालत ने कड़े शब्दों में कहा है कि नियुक्ति संबंधी तमाम जानकारी कोर्ट को सौंपनी होगी, अन्यथा चेयरमैन को कोर्ट तलब करेगा। इसके साथ ही अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जब मामला हाई कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है, तो इंटरव्यू की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई। जेपीएससी गलती पर गलती कर रही है।
प्रार्थी भास्कर कुमार एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। पिछली सुनवाई में उन्होंने अदालत को बताया था कि असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति के लिए 21 हज़ार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। लेकिन रिजल्ट सिर्फ 4700 छात्रों का ही जारी किया गया। अदालत ने प्रार्थी के अधिवक्ता की बहस पर जेपीएससी से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने तीन सप्ताह बाद की तिथि निर्धारित की है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और जेपीएससी से जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया था।