रांचीः झारखंड के व्यवसायियों ने दूसरे राज्यों से खाद्यान्न की आवक रोक दी है। आंदोलित व्यवसायी राज्य में कृषि उपज पर मंडी शुल्क करने के सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने दावा किया है कि सोमवार से कोई भी व्यवसायी बाहर से किसी भी प्रकार का खाद्यान्न नहीं मंगाएगा। जाहिर है, आंदोलन अगर लंबा खिंचा तो राज्य में खाद्यान्न की किल्लत बढ़ सकती है। बता दें कि राज्य भर की मंडियों में खाद्यान्न पर कृषि शुल्क लागू किया गया है।
ये भी पढ़ें..हत्या के आरोपी को अरेस्ट करने गई पुलिस पर चाकू से हमला, हालत गंभीर
व्यवसायियों का कहना है कि यह व्यवस्था महंगाई और आम लोगों की परेशानी बढ़ाने वाली है। कृषि शुल्क की व्यवस्था वापस लेने के लिए व्यवसायियों ने सरकार को 15 मई तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार की ओर से अब तक मामले में कोई पहल नहीं हुई। बीते शुक्रवार को इस मुद्दे पर व्यापारिक संगठनों की बैठक हुई थी, जिसमें16 मई से दूसरे राज्यों से खाद्यान्न की आवक ठप करने का निर्णय लिया गया। फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि इस फैसले पर राज्य के सभी जिलों के चैंबर ऑफ कॉमर्स, खाद्यान्न व्यवसायी, राइस मिलर्स और फ्लावर मिलर्स ने सहमति जतायी है।
व्यापारिक संगठनों का कहना है कि कोविड की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जानमाल की परवाह किए बगैर उन्होंने राज्य में खाद्य वस्तुओं की नियमित आवक और आपूर्ति सुनिश्चित करायी, लेकिन सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की हठधर्मिता के चलते यह कठिन फैसला लेना पड़ा है। झारखंड चैंबर के अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा है कि जब राज्य में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद होगी, तो राज्य में माल की उपलब्धता कम हो जायेगी। इससे आनेवाले दिनों में परिस्थितियां विकट हो जायेंगी, लेकिन इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी। लगातार अनुनय-विनय के बाद भी महंगाई बढ़ाने वाले इस निर्णय पर सरकार और उनके अधिकारी हठधर्मी रवैया अपना रहे हैं।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)