जयंती विशेष : राजीव गांधी के वो बड़े काम जिनसे बदली भारत की तस्वीर…

राजीव

नई दिल्लीः देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की आज 77वीं जयंती हैं। राजीव गांधी की जयंत्री पर कांग्रेस के तमाम नेता उनको याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस मौके पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने सुबह वीर भूमि पहुंचकर अपने पिता राजीव गांधी को नमन किया और उनको पुष्पांजलि अर्पित की।

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देश के सातवें और भारतीय इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था। वह एक पायलट थे। उनका मन कभी राजनीति में आने का नहीं था, लेकिन हालातों ने कुछ ऐसा किया की वो न चाहते हुए भी उन्हें राजनीति में कदम रखना पड़ा। दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जो उनकी मां थीं, की हत्या के बाद उन्हें तुरंत प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। राजीव गांधी बतौर प्रधानमंत्री कई ऐसे काम किए हैं जो समाज के हित में थे। अपने कार्यों से देश की जनता के दिलोदिमाग में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी।

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की हत्या के बाद बने पीएम

दरअसल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की हत्या के बाद देश में निराशा का माहौल था। लोग चाहते थे कि कोई उन्हें उस माहौल से निजात दिलाए। लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐतिहासिक तौर पर कांग्रेस के पक्ष में आए। देश के लोगों ने नौजवान राजीव गांधी को इंदिरा का वारिस और अपना प्रधानमंत्री चुना और अगले पांच सालों में राजीव गांधी ने देश के लिए बहुत सारे फैसले लिए। हालांकि इनमें से कुछ आज भी विवादास्पद हैं। जिसमें शाहबानो केस और अयोध्या मसले की बात करें तो उसके लिए राजीव की आज भी आलोचना होती है।

बता दें कि युवा सोच वाले राजीव गांधी को 21वीं सदी के भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने आधुनिक भारत की नींव रखने की दिशा में काम किया। जिसकी वजह से भारत की तस्वीर बदली।

कंप्यूटर क्रांति

राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने न सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में भी अहम भूमिका निभाई। देश की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनियां एमटीएनएल और वीएसएनएल की शुरुआत उनके कार्यकाल के दौरान हुआ।

बता दें कि दुनिया को पहला कंप्यूटर 1940 के आखिर में मिला, लेकिन भारत ने पहली बार 1956 में कंप्यूटर खरीदा। तब इसकी कीमत 10 लाख रुपये थी और इसका नाम HEC-2M था। सबसे पहले इसे कोलकाता के इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट में इंस्टॉल किया गया। हालांकि, यूजर्स के लिए भारत में कंप्यूटर्स काफी बाद में आए।

युवा शक्ति की ताकत

प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में ही यह व्यवस्था बनी कि 18 साल के लोग वोट दे सकते हैं। उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की। पहले 21 साल के लोग ही वोट दे सकते थे। राजीव गांधी ने 1989 में संविधान के 61 वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्र सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

इसके अलावा ईवीएम मशीनों को चुनावों में शामिल करने समेत कई बड़े चुनाव सुधार किए गए। ईवीएम के जरिए उस दौर में बड़े पैमाने पर जारी चुनावी धांधलियों पर रोक लगी। आज के दौर में चुनाव बहुत हद तक निष्पक्ष होते हैं और इनमें ईवीएम मशीनों का बड़ा योगदान है।

पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं मजबूती से विकास कार्य कर सकें, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त बनाने का काम शुरू किया। इसके साथ ही गांवों के बच्चों को भी उच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी। इन विद्यालायों में प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को प्रवेश मिलता है। बच्चों को छह से 12 वीं तक की मुफ्त शिक्षा मिलती है। हॉस्टल में रहने की सुविधा भी फ्री मिलती है।

गिराई चीन की दीवार

राजीव गांधी ने दिसंबर 1988 में चीन की यात्रा की. यह एक ऐतिहासिक कदम था. इससे भारत के सबसे पेचीदा पड़ोसी माने जाने वाले चीन के साथ संबंध सामान्य होने में काफी मदद मिली। 1954 के बाद इस तरह की यह पहली यात्रा थी। सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में एक ठोस कदम थी।

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