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महिलाओं पर बढ़ते अपराधों पर जमात-ए-इस्लामी ने जताई चिंता, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

Rajya Sabha passes Triple Talaq Bill after the discussion at Parliament in New Delhi

नई दिल्लीः जमात-ए-इस्लामी हिन्द की प्रतिनिधि सभा (मजलिस-ए-नुमाइंदगान) में देश में व्याप्त तमाम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। सभा में कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिनमें महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराधों पर अंकुश लगाने का भी प्रस्ताव शामिल है।

सभा ने एक अन्य प्रस्ताव पारित कर सरकार और देशवासियों पर जोर दिया है कि वह कानून के प्रभुत्व को विश्वसनीय बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास होने से बचाने के लिए अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करें। प्रतिनिधि सभा ने समाज में बढ़ती हुई नफरत और कुछ लोगों और समूहों की ओर से कमजोर वर्गों और मुसलमानों के खि़लाफ हो रहे सिलसिलेवार जुल्मों और अत्याचार की घटनाओं पर चिंता प्रकट की।

बैठक में कहा गया कि इस तरह के हालात देश के लिए अत्यंत नुकसानदायक हैं और पूरी दुनिया में देश की छवि खराब होने का सबब बन रहे हैं। समाज में नफरत फैला कर कुछ राजनीतिक शक्तियां क्षणिक लाभ तो हासिल कर सकती हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव देश व समाज पर बहुत देर तक असर डालते हैं। देशवासियों को इससे सावधान करने की जरूरत है।

जमात-ए-इस्लामी हिन्द की प्रतिनिधि सभा का एक दिवसीय मध्यावधि सम्मेलन बुधवार को यहां समाप्त हो गया। इसमें 157 सदस्य हैं, जिनमें 29 महिलाएं भी शामिल हैं। इस सम्मेलन में देश की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सूरतेहाल के अतिरिक्त देश के मुस्लिम समुदाय को चुनौतियों और महिलाओं की समस्याओं पर प्रस्ताव पारित किए गए हैं। किसानों की ओर से एक साल से जारी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक और शान्तिपूर्ण करार देते हुए सम्मेलन में मांग की गई कि केंद्र सरकार किसानों की मांगों के साथ गंभीर रवैया अपनाए। महिलाओं से सम्बंधित प्रस्ताव में जमात ने महिलाओं और बालिकाओं पर हो रहे अत्याचारों का नोटिस लेते हुए कहा कि देश में महिलाओं के साथ बलात्कार और अपमान की घटनाएं सामान्य होती जा रही हैं। अपराधी या तो कानून की गिरफ्त में नहीं आते या आते भी हैं तो उन्हें अतिशीघ्र यथोचित सजा नहीं मिलती। दूसरी ओर समाज में महिलाओं के अधिकारों से सम्बंधित संवेदनशीलता कमजोर पड़ती जा रही है। महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए समाज और सरकार दोनों को अपनी जिम्मेदारी अदा करनी चाहिए।

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प्रतिनिधि सभा ने देश में बढ़ती बेरोजगारी, गंभीर आर्थिक संकट, अनियंत्रित मूल्यवृद्धि पर भी चिंता व्यक्त की है। कुछ सरकारी संस्थाओं के निजीकरण पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एयर इंडिया और रेलवे जैसे देश की बड़ी संस्थानों को निजी कम्पनियों के हवाले करने जैसे प्रयास से इस विचार को बल मिलता है कि मौजूदा सरकार आर्थिक नीतियों में राज्य कल्याणकारी कामों की बजाय पूंजीवादी शोषक रुझानों को अपना रही है जो देश के लिए किसी तरह बेहतर नहीं है। निजीकरण के इन फैसलों से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि सरकार ऐसी बड़ी संस्थानों को चलाने की योग्यता नहीं रखती है।

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