छत्तीसगढ़ आस्था

1 जुलाई को रथ पर सवार होंगे भगवान जगन्नाथ, दी जाएगी तुपकी की सलामी

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जगदलपुर: रियासत कालीन बस्तर गोंचा महापर्व के अंतर्गत 15 दिनों के दर्शन वर्जित काल के बाद गुरुवार को जगन्नाथ मंदिर में नेत्रोत्सव पूजा विधान संपन्न किया जाएगा। अनसर काल के दौरान श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ स्वामी (Jagannath swami), माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के दर्शन वंचित थे। नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ ही श्रद्धालुओं को दर्शन का पुण्यलाभ प्राप्त होगा।

नेत्रोत्सव के दूसरे दिन 01 जुलाई को श्रीगोंचा पूजा विधान के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारूढ़ कर रथयात्रा निकाली जायेगी। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ (Jagannath swami) के सम्मान में तुपकी की सलामी दिये जाने की परंपरा है। बस्तर गोंचा पर्व में भगवान जगन्नाथ को तुपकी की सलामी के इसी अनूठेपन के कारण बस्तर गोंचा पर्व अपनी अलग पहचान स्थापित करता है। भगवान जगन्नाथ (Jagannath swami) को तुपकी की सलामी देने की यह रियासत कालीन शताब्दियों पुरानी अक्षुण परंपरा के निर्वहन का दर्शन जगदलपुर में बस्तर गोंचा पर्व के श्रीगोंचा रथयात्रा एवं बाहुड़ा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान के दौरान ही देखने को मिलता है।

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देवस्नान चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा पर्व की शुरुआत 14 जून को हुई थी। भगवान शालीग्राम का विधि-विधान के साथ पूजा कर मंदिर के गर्भ गृह में और भगवान के विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किया गया था। 15 जून से 29 जून तक भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी अनसर काल में थे। इस दौरान भगवान का दर्शन वर्जित था। जगन्नाथ मंदिर में भगवान का नेत्रोत्सव पूजा विधान रियासत कालीन परंपरानुसार संपन्न किया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी की जा चुकी है। ट्रेजरी से लाए गए भगवान के रजत आभूषणों से भगवान जगन्नाथ (Jagannath swami) के विग्रहों का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।

360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि नेत्रोत्सव पूजा विधान का आयोजन 30 जून को सुबह से ही प्रारंभ हो जायेगा। नेत्रोत्सव पूजा विधान में परंपरानुसार सभी पूजा अनुष्ठाान संपन्न किये जायेगे, 15 दिनों बाद नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही जगन्नाथ मंदिर में नवनिर्मित गुंबद और महालक्ष्मी अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापना पूजा विधान भी संपन्न किया जायेगा। महालक्ष्मी अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापना पूजा विधान विगत दो दिनों से जारी है, जिसकी संपन्नता भी आज होगी।

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