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पीएम मोदी ने कहा- केवल इलाज तक सीमित नहीं भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को जीवन का संपूर्ण विज्ञान बताते हुए कहा कि यह केवल इलाज तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का उद्देश्य प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को एक साथ लाना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) का शिलान्यास करने के बाद कहा कि डब्ल्यूएचओ ने ट्रेडिशनल मेडिसिन के इस सेंटर के रूप में भारत के साथ एक नई साझेदारी की है। ये ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता का सम्मान है। भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी के रूप में ले रहा है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग का द्वार खोलेगा और अगले 25 वर्षों में पारंपरिक दवाओं को मानचित्र पर रखेगा।

उन्होंने कहा कि मधुमेह, मोटापा, अवसाद जैसी कई बीमारियों से लड़ने में भारत की योग परंपरा दुनिया के लिए बहुत काम की है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग लोकप्रिय हो रहा है और दुनिया भर के लोगों को मानसिक तनाव को कम करने, मन-शरीर-चेतना को संतुलित करने में मदद कर रहा है।

आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी योगों की मांग विश्व स्तर पर बढ़ी है। कई देश महामारी से बचाव के लिए पारंपरिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पांच दशक से भी अधिक पहले जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेदा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह वैश्विक सेंटर वैलनेस के क्षेत्र में जामनगर की पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा।

उन्होंने कहा कि निरोगी रहना जीवन के सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है लेकिन वैलनेस ही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैलनेस का हमारे जीवन में क्या महत्व है यह हमने कोविड-19 के इस दौर में अनुभव किया है। इसलिए विश्व को आज हेल्थ केयर डिलीवरी के नए आयाम की तलाश है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में हीलिंग और ट्रीटमेंट के अलावा सोशल हेल्थ, मेंटल हेल्थ, हैप्पीनेस, एनवायरमेंटल हेल्थ, करुणा, सहानुभूति और उत्पादकता सब कुछ शामिल है। इसलिए हमारे आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में समझा जाता है और उसे पांचवा वेद कहा जाता है।

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उन्होंने कहा कि अच्छी हेल्थ का सीधा संबंध बैलेंस डाइट से है। हमारे पूर्वज यह मानते थे कि किसी भी रोग का आधा उपचार बैलेंस डाइट में छिपा होता है। हमारी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां इन जानकारियों से भरी हुई हैं कि किस मौसम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए।

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