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चीन-अमेरिका की तर्ज पर बनेंगी भारतीय सेनाएं, अंतरिक्ष से लेकर जमीनी युद्ध तक...

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नई दिल्ली: अब भारत की तीनों सेनाओं का पुनर्गठन चीन और अमेरिका की तर्ज पर किया जायेगा। दुनिया में बदलते युद्ध के पारंपरिक तौर-तरीके और 'मॉडर्न वार' को देखते हुए तीनों सेनाओं को एक करने का फैसला लिया गया है। इन्हीं तीन कमांड्स की अंतरिक्ष से लेकर साइबर स्पेस और जमीनी युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए अलग से एक-एक कमांड बनेगी। सेना के थिएटर कमांड्स की व्यवस्था सिर्फ चीन और अमेरिका में है। फिलहाल यह 'रोडमैप' तैयार किया गया है, जिसे 2022 तक लागू किये जाने पर भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश हो जाएगा।

मौजूदा समय में थल, नौसेना और वायुसेना के अपने-अपने कमांड्स हैं, लेकिन पुनर्गठन होने पर हर थिएटर कमांड में भारत की तीनों सेनाओं नौसेना, वायुसेना और थल सेना की टुकड़ियां शामिल होंगी। सुरक्षा चुनौती की स्थिति में तीनों सेनाएं साथ मिलकर लड़ेंगी। थिएटर कमांड का नेतृत्व केवल ऑपरेशनल कमांडर के हाथ में होगा। इसे देखते हुए भारत की सेनाओं को भी अत्याधुनिक बनाकर जमीनी युद्ध के साथ-साथ अंतरिक्ष, इंटरनेट और सीक्रेट वॉरफेयर के लायक सक्षम बनाने की जरूरत समझी गई। इसी के तहत बनाये गए 'रोडमैप' में तीनों सेनाओं को मिलाकर तीन स्पेशल कमांड गठित करने का फैसला लिया गया है, जो दुश्मन को किसी भी परिस्थिति में मुंहतोड़ जवाब दे सकें।

केंद्र सरकार ने भारत के ​​चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ​(सीडीएस) ​जनरल बिपिन रावत को सेनाओं की तीन नई कमांड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। ​​मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद जल्द ही सैन्य मामलों के विभाग के साथ इसके लिए अतिरिक्त और संयुक्त सचिव के पद सृजित किये जाने हैं। पहले से काम कर रही डिफेंस इंफॉर्मेशन एश्योरेंस एंड रिसर्च एजेंसी का विस्तार करते हुए ​इसे ​डिफेंस सा​इबर एजेंसी (डीसीए) में ​बदला जाएगा। ​इसी तरह ​स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन (एसओडी) के लिए तीनों सेनाओं से मिलाकर खास तौर पर एक 'सेंट्रल पूल' बनाया जाएगा। इसे गैर-पारंपरिक युद्धों की तकनीकों से लैस ​करके हर तरह की आधुनिक विशेषज्ञता मुहैया कराई जाएगी।​ ​यानी सबसे पहले डिफेंस सा​इबर एजेंसी (डीसीए) बनेगी और इसके बाद डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) व स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन (एसओडी) तैयार की जाएंगी​​। ​​

यह भी पढ़ेंः-एटा: ब्लैकमेलिंग से परेशान लड़की ने बिल्डिंग से कूदकर की खुदकुशी ​ तैयार किये गए रोडमैप के मुताबिक ​इन तीनों कमांड का नेतृत्व ​चीफ ऑफ डि​​फेंस स्टाफ ​(सीडीएस) ​के हाथों में होगा​।​ ​इसके अलावा सीडीएस के पास सशस्त्र बल स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन, साइबर कमांड और उसके तहत रक्षा खुफिया एजेंसी होगी, जिसमें तीनों सेनाओं के अधिकारी शामिल होंगे। सेनाओं का नया ढांचा बनने के बाद थल सेनाध्यक्ष, वायु सेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष के ​पास ऑपरेशनल ​जिम्मेदारी नहीं होगी लेकिन ​​अमेरिकी सेना​ की तर्ज पर ​थिएटर कमांडरों के लिए संसाधन जुटाना ​इन्हीं के जिम्मे रहेगा। ​एकीकृत कमांड के तहत सेना, वायु सेना और नौसेना की इकाइयां रहेंगीं, जिसके परिचालन के लिए तीनों सेनाओं में से एक-एक अधिकारी ​को शामिल किया जायेगा। पांचों कमांड्स का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक के कमांडरों के हाथों में होगा जो मौजूदा कमांड प्रमुखों के रैंक के बराबर होंगे।