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बाल्टिक सागर में भारत और रूसी नौसेनाओं ने किया समुद्री अभ्यास

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नई दिल्ली: बाल्टिक सागर में दो दिन हुए भारत और रूस की नौसेनाओं के बीच समुद्री अभ्यास से दोनों देशों के बीच दीर्घकालीन मैत्री संबंध और मजबूत हुए हैं। इस वर्ष के अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अबतक विकसित हुई परिचालन की आपसी समझ को और बढ़ाना तथा बहुस्तरीय समुद्री गतिविधियों में तेजी लाना था।

कई देशों की लम्बी यात्रा पर 13 जून को निकला भारतीय जलपोत तबर 26 जुलाई को सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी नौसेना के 325वें नौसेना दिवस परेड में रूसी जहाजों के साथ शामिल हुआ। इस परेड की समीक्षा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की। इस परेड में 50 से अधिक जहाजों, मोटर नौकाओं, पनडुब्बियों, 48 विमानों और नेवल एविएशन के हेलीकॉप्टरों ने भाग लिया। इसके बाद आईएनएस तबर ने रूसी नौसेना के दो जहाजों के साथ बाल्टिक सागर में 28-29 जुलाई को नौसैन्य अभ्यास में भी भाग लिया।

नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के अनुसार भारत और रूस की नौसेनाओं का यह अभ्यास काफी हद तक परिपक्व हो चुका है। इस वर्ष के अभ्यास का प्रमुख उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अब तक विकसित हुई परिचालन की आपसी समझ को और बढ़ाना तथा बहुस्तरीय समुद्री गतिविधियों में तेजी लाना था। इस अभ्यास में कई समुद्री गतिविधियों को भी शामिल किया गया। भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्टेल्थ फ्रिगेट आईएनएस तबर ने किया, जबकि रूसी संघ की नौसेना की तरफ से कॉरवेट्स आरएफएस ज़ेलायनी दोल और आरएफएस ऑदिनत्सोवो ने हिस्सा लिया। ये दोनों जहाज बाल्टिक बेड़े के हैं।

दो दिवसीय अभ्यास में जहाज पर किये जाने वाले विभिन्न पहलू शामिल थे। इनमें हवा में मार करने, पुन: पूर्ति पहुंचाने का अभ्यास, हेलीकॉप्टर परिचालन, जहाज पर सवार होने का अभ्यास और जहाज के संचालन, तैयारी, तैनाती और मोर्चाबंदी का अभ्यास शामिल था। इस अभ्यास की बदौलत दोनों देशों की नौसेनाओं में आपसी विश्वास को मजूबती मिलने के साथ ही संयुक्त गतिविधियों को संचालित करने और उत्कृष्ट व्यवहारों को साझा करने में मदद मिली। यह अभ्यास दोनों देशों की नौसेनाओं के आपसी सहयोग को सुदृढ़ करने का एक और मील का पत्थर साबित हुआ है। साथ ही दोनों देशों के बीच दीर्घकालीन मैत्री संबंध और मजबूत हुये हैं।

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इसके बाद दक्षिणी रूस के वोल्गोग्राड क्षेत्र में प्रुडबोई अभ्यास रेंज में 1-15 अगस्त तक रूसी सेना के साथ सामरिक द्विपक्षीय ''इंद्र-2021'' अभ्यास होगा। इस अभ्यास में भारत की तीनों सेनाओं के लगभग 250 सैन्यकर्मी हिस्सा लेंगे। भारत और रूस के बीच त्रि-सेवा सैन्य अभ्यास दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच बंधन को और मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। सामरिक द्विपक्षीय ''इंद्र-2021'' अभ्यास की श्रृंखला 2003 में शुरू हुई थी और पहला संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास 2017 में आयोजित किया गया था। भारत और रूस के बीच पिछला संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास 10-19 दिसम्बर, 2019 को भारत में हुआ था। भारत-रूस की सेनाओं के बीच अभ्यासों का उद्देश्य आपसी विश्वास, अंतर-क्षमता को और मजबूत करना, दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाना है।