नई दिल्लीः भारत और चीन (india-China) के बीच 17 जुलाई को साढ़े 12 घंटे हुई 16वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बैठक के बाद साझा बयान जारी किया गया है। इसमें स्वीकार किया गया है कि भारतीय इलाके के चुशूल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग प्वाइंट पर हुई बैठक विवादित मुद्दों को हल करने में नाकाम रही, लेकिन दोनों पक्ष जल्द ही पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए। वार्ता के दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित इलाकों से सैनिकों की शीघ्र वापसी के लिए दृढ़ता से दबाव डाला और यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।
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भारत और चीन (india-China) के बीच पिछली बैठक 11 मार्च को हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने 16वें दौर की वार्ता के दौरान पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ विवादित मुद्दों का समाधान करने के लिए रचनात्मक तरीके से चर्चा जारी रखी। शेष मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए विचारों का स्पष्ट और गहन आदान-प्रदान किया। दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से आगे भी बातचीत जारी रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों का पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी सहमत हुए।
भारत और चीन के बीच रविवार को 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद साझा बयान में कहा गया है कि लंबित मुद्दों के समाधान से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और शांति बहाल करने में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम बनाया जा सकेगा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि वार्ता में भारत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के सभी विवादित बिंदुओं से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने के लिए जोर दिया और सैन्य गतिरोध शुरू होने से पहले अप्रैल, 2020 वाली यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।
संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहमत हुए। वार्ता से पहले हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर विघटन प्रक्रिया में प्रगति होने की उम्मीदें थीं। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने डेप्सांग बुलगे और डेमचोक में लंबित मुद्दों के समाधान की भी मांग रखी। भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वार्ता के दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख में सभी विवादित इलाकों से सैनिकों की शीघ्र वापसी के लिए दृढ़ता से दबाव डाला और यथास्थिति बहाल करने की मांग को दोहराया।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने किया, जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल यांग लिन कर रहे थे। सैन्य और कूटनीतिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैन्गोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर और गोगरा क्षेत्र से अपने-अपने सैनिक पीछे किये थे। पैन्गोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हो गया। इसके बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। मौजूदा समय में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संवेदनशील इलाकों में भारत और चीन के लगभग 50-60 हजार सैनिक तैनात हैं।
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