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भारतीय सेना ने 9,500 फीट की ऊंचाई पर बनाया ‘फॉरेन ट्रेनिंग नोड’, इस देश के साथ करेगी युद्धाभ्यास

नई दिल्लीः बर्फ की चोटियों पर युद्ध लड़ने के लिए दुनिया भर में पहचान रखने वाली भारतीय सेना अब विदेशी मित्र सेनाओं को उच्च ऊंचाई पर जंग लड़ने का प्रशिक्षण देगी। इसके लिए चीन सीमा से मात्र 100 किलोमीटर दूर 9500 फीट की ऊंचाई पर सेना ने उत्तराखंड में ‘फॉरेन ट्रेनिंग नोड’ बनाया है। इसकी शुरुआत 15 नवंबर को भारत और अमेरिकी सैनिकों के युद्धाभ्यास से होगी। यानी हाई एल्टीट्यूड वाले इलाके में पहली बार इस तरह का सैन्य अभ्यास किया जाएगा। अमेरिकी सैनिक भारतीय सेना से प्रशिक्षण लेने में आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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भारतीय सैनिकों को शून्य तापमान और बर्फबारी के बीच भी देश की हिफाजत के लिए डटे रहने की आदत है। भारतीय सेना को दुनिया भर की सेनाओं के मुकाबले ठंड के वातावरण में युद्ध लड़ने के मामले में सर्वश्रेष्ठ और अनुभवी माना जाता है। कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना से कई ठंडे देशों की सेनाएं प्रशिक्षण लेने की इच्छुक हैं। चीन के साथ दो साल से चल रहे गतिरोध के दौरान भी भारतीय सैनिक हर मोर्चे पर खरे उतरे हैं, क्योंकि पूर्वी लद्दाख की खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां उनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं।

अमेरिकी सेना दो दशकों के मिशन में अलास्का के ठंडे मौसम में युद्ध लड़ने के तौर-तरीके सीखने के लिए संघर्ष कर रही है। अमेरिकी सेना ने आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करके विशेष ब्रिगेड टीम का गठन भी किया है। अमेरिका के पास सैन्य उपकरण भी काफी हद तक भारतीय सेना के समान हैं लेकिन ठंड के वातावरण में काम करने का अनुभव न होने से युद्ध लड़ने की क्षमताएं विकसित नहीं हो पा रही हैं। इसीलिए भारतीय टीम अलास्का में एक द्वि-वार्षिक अभ्यास के दौरान आर्कटिक की कठोर सर्दियों में अमेरिकी सैनिकों को युद्ध लड़ने का प्रशिक्षण देती है।

सेंट्रल आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने बताया कि अब भारतीय सेना ने मित्र देशों की सेनाओं को उच्च ऊंचाई पर युद्ध की ट्रेनिंग देने के लिए उत्तराखंड के औली में चीन सीमा से महज 100 किमी. दूर ‘फॉरेन ट्रेनिंग नोड’ बनाया है। इस नोड पर पहली बार भारतीय सेना और अमेरिकी आर्मी के जवान 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक सैन्य अभ्यास करने वाले हैं। यानी हाई एल्टीट्यूड वाले इलाके में पहली बार इस तरह का सैन्य अभ्यास किया जाएगा। यहां पर हमेशा 350 भारतीय जवान तैनात रहेंगे। यहां सैनिकों के रहने और ट्रेनिंग की पूरी व्यवस्था की गई है।

‘फॉरेन ट्रेनिंग नोड’ पर अमेरिका की सेना के सामने भारत के सैनिक ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध की रणनीतियों और तकनीकों का प्रदर्शन करेंगे, जिसे माउंटेन वॉरफेयर कहा जाता है। अमेरिकी सेना भी युद्धाभ्यास के दौरान पहाड़ों पर इस्तेमाल की जाने वाली अपनी आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन करेगी, ताकि युद्ध में सफलता हासिल की जा सके। अमेरिका के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। पिछली बार यह सैन्य अभ्यास राजस्थान के बीकानेर स्थित महाजन फील्ड रेंज में हुआ था। अमेरिकी सैनिक इस बार भारतीय सेना से प्रशिक्षण लेने में आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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