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माघ मास में कल्पवास से शरीर और आत्मा दोनों हो जाते हैं शुद्ध, जानें पौराणिक कथा और इस माह के त्योहार

नई दिल्लीः आज से माघ माह की शुरूआत हो गयी है। सनातन धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। इस माह कई व्रत, स्नान और त्योहार मनाये जाते हैं। 17 जनवरी को पूर्णिमा तिथि के बाद से पौष माह का समापन हो गया है। वहीं मंगलवार से प्रतिपदा तिथि से माघ माह की शुरूआत हो गयी है। इस माह पवित्र नदी में स्नान के बाद दान देना अत्यंत शुभ माना गया है। माघ माह में संगम तट पर कल्पवास करने का भी विधान है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक कल्पवास करने वाले व्यक्ति के शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध हो जाते हैं और उसे पुण्य की भी प्राप्ति होती है।

माघ माह की पौराणिक कथा और महात्म्य
पौराणिक कथा के अनुसार जब गौतम ऋषि ने भगवान इंद्र को श्राप दिया था। तब भगवान इंद्र को बेहद पश्चाताप हुआ और उन्होंने गौतम ऋषि से श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा और क्षमा याचना भी की। क्योंकि ऋषि बेहद दयालु ह्दय के होते हैं। अपने इसी गुण के चलते गौतम ऋषि ने भगवान इंद्र से कहा कि वह माघ माह में पवित्र गंगा नदी में स्नान कर दान दें। इससे उनके सभी पाप मिट जाएंगे और उन्हें श्राप से भी मुक्ति मिल जाएगी। ऋषि के कथनानुसार भगवान इंद्र ने माघ मास में गंगा नदी स्नान कर दान आदि दिया। जिससे उन्हें श्राप से मुक्ति मिल गयी। इसके बाद से ही पूर्णिमा और अमावस्या के दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है।

माघ माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार-
21 जनवरी-लंबोदर संकष्टी चतुर्थी
23 जनवरी-सुभाष चंद्र बोस जयंती
25 जनवरी- कालाष्टमी
26 जनवरी-गणतंत्र दिवस
28 जनवरी-षटतिला एकादशी
30 जनवरी-महात्मा गांधीजी की पुण्यतिथि
30 जनवरी- मेरु त्रयोदशी, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
31 जनवरी-अमावस्या
1 फरवरी-मौनी अमावस्या

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2 फरवरी-माघ अमावस्या और गुप्त नवरात्रि प्रारंभ।
4 फरवरी-विनायक चतुर्थी
5 फरवरी-वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा
6 फरवरी-स्कंन्द षष्ठी
7 फरवरी-रथ सप्तमी और नर्मदा जयंती
8 फरवरी- मासिक दुर्गाष्टमी और मासिक कार्तिगाई
10 फरवरी-रोहिणी व्रत
12 फरवरी-जया एकादशी
13 फरवरी- कुंभ संक्राति और भीष्म द्वादशी
14 फरवरी-प्रदोष व्रत
16 फरवरी-गुरु रविदास और ललिता जयंती
16 फरवरी-माघ पूर्णिमा

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