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किसान और सरकार के बीच अहम बैठक आज, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

Bharatiya Kisan Union (BKU) spokesperson Rakesh Tikait addresses farmers during their protest against the new farm laws

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली समेत संपूर्ण उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के बीच चल रहे किसान आंदोलन का सोमवार को 40वां दिन है। किसान संगठनों के नेता आज (सोमवार) फिर केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर केंद्रीय मंत्रियों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत करेंगे। वार्ता दोपहर दो बजे शुरू होगी। सरकार के साथ किसान नेताओं की यह सातवें दौर की अहम वार्ता है।

जिसमें किसानों को उनकी दो प्रमुख मांगों पर अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है। वार्ता में जाने से पहले भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि हम इसी उम्मीद के साथ आज वार्ता में शामिल होंगे कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और किसानों को उनकी फसल की कानूनी गारंटी देने के मसले पर अपना अंतिम निर्णय सुनाएगी। इस वार्ता को हम निर्णायक वार्ता के रूप में देख रहे हैं बाकी सोचने का काम सरकार का है। देखते हैं कि सरकार क्या फैसला लेती है।

हरिंदर सिंह से जब पूछा कि आज वह सरकार से क्या बात करेंगे तो उन्होंने कहा, आंदोलन के दौरान 50 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई है। हम सरकार से यही पूछेंगे कि इस तरह बातचीत के दौर को लंबा करने और समाधान के रास्ते तलाशने में वक्त बिताते हुए वह और कितने किसानों की शहादत लेना चाहती है।

सरकार की ओर से पिछली वार्ताओं के दौरान किसानों को कमेटी बनाकर मसले का समाधान करने का प्रस्ताव लगातार दिया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि इस वार्ता के दौरान भी सरकार की तरफ से कमेटी बनाने के मसले पर जोर दिया जा सकता है। इस संबंध में पूछे गए सवाल पर भाकियू नेता हरिंदर सिंह ने कहा, सरकार अगर किसानों के हितों में काम करना चाहती है और कृषि क्षेत्र में सुधार लाना चाहती है तो इन तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेकर नये सिरे से कृषि सुधार के उपाय करने के लिए किसानों की कमेटी बनाए तो हमें यह मंजूर होगा।

हरियाणा में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे जाने की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को विफल बनाने के लिए राज्य सरकारों की तरफ से की जा रही कोशिशें ठीक नहीं है और इससे किसानों का आंदोलन और प्रस्तावित कार्यक्रम नहीं रूकेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि सोमवार को होने वाली वार्ता में अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोचरें से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ 'किसान गणतंत्र परेड' करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 जनवरी के पहले स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है।

किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के विरोध में 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ताएं हो चुकी है।

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पिछली बार 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की वार्ता में सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगे मान ली थी जो पराली दहन से जुडे अध्यादेश के उल्लंघन पर भारी जुर्माना और जेल की सजा और बिजली सब्सिडी को जारी रखने से संबंधित हैं। किसान संगठनों ने चार जनवरी को सरकार के साथ होने वाली वार्ता विफल होने पर छह जनवरी को केएमपी एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालने का ऐलान किया है।