Home उत्तर प्रदेश Lucknow: शहर के लिए ‘नासूर’ बनते जा रहे अवैध घुसपैठिए

Lucknow: शहर के लिए ‘नासूर’ बनते जा रहे अवैध घुसपैठिए

लखनऊः पूरे देश में जहां बांग्लादेशी मुसलमानों के अवैध घुसपैठ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रह है, वहीं राजधानी लखनऊ (Lucknow) में अब ये घुसपैठिए नासूर बनने लगे हैं। पिछले दिनों अतिक्रमणरोधी अभियान के दौरान इन घुसपैठियों ने नगर निगम के कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था और कई को बंधक भी बना लिया था। इस घटना ने नगर निगम से लेकर प्रशासन तक की तंद्रा को तोड़ने का काम किया है और अब इनकी सघन जांच की जा रही है। शहर में हो रहे सफाई के काम से लेकर सब्जी मंडियों व कबाड़ के काम में इनकी गहरी पैठ हो चुकी है। बहरहाल, देखना यह होगा कि राजधानी के अलग-अलग इलाकों में फैली हजारों झुग्गियों में लाखों की संख्या में रहने वाले इन घुसपैठियों पर असल में कार्रवाई होती है या फिर यह अभियान भी कागजों में सिमट कर रह जाएगा।

दरअसल, 29 दिसंबर को नगर निगम जोन-7 स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी वार्ड में अतिक्रमण हटाने गए नगर निगम के कर्मियों को बांग्लादेशियों के एक समूह ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और कई निगमकर्मियों को वहां की महिलाओं ने बंधक बना लिया था। यही नहीं पर्स और मोबाइल भी लूट ले लिए थे। इसकी खबर जब मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह तक पहुंची तो उन्होंने सख्त तेवर अपनाते हुए दर्जनों झुग्गियों को बुलडोजर से जमीदोंज करा दिया। इसके अलावा उन्होंने कमिश्नर से झुग्गियों में रहने वाले इन घुसपैठियों के सत्यापन की भी मांग उठाई थी। घुसपैठिए यूं ही अपनी ताकत का अहसास नहीं करा रहे थे, वास्तव में इनकी संख्या ही इनकी शक्ति है। एक अनुमानित आंकड़ा इन दिनों हलचल मचाए हुए है। यदि यह सही है तो वास्तव में लखनऊ के समाजसेवियों और आम आदमी के लिए चिंता का विषय है।

बताया जा रहा है कि पूरे शहर में एक लाख से अधिक लोग झुग्गियों में रहते हैं, लेकिन इस आंकड़े पर अलग-अलग राय है। महापौर सुषमा खर्कवाल का कहना है कि केवल तीस साल में यह पूरे शहर में फैल चुके हैं। इनकी संख्या पौने दो लाख के करीब है। बड़ा सवाल यह है कि इनकी सख्या तीस साल में पौने तीन लाख तक पहुंच गई है। नगर निगम के दस हजार कर्मचारी सफाई व्यवस्था संभाल रहे हैं, जबकि यह जोन सात पर पूरी तरह से कब्जा कर चुके हैं। मजेदार बात यह है कि इनके पास बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर आधार कार्ड, डीएल, राशन कार्ड आदि बने हुए हैं। जब कभी इन पर कार्रवाई की तलवार लटकती है तो यह अपने को असम राज्य का बताकर विक्टिम कार्ड खेलने लगते हैं।

नगर निगम की सक्रियता के बाद जिला प्रशासन और कमिश्नर भी जांच को लेकर काफी गंभीर हैं और अब यह पता लगाया जा रहा है कि यह किसकी जमीन पर झुग्गियां बनाकर रह रहे हैं और किन लोगों की शह पर इन्हें तमाम सारी सुविधाएं भी आसानी से मिल रही हैं। मेयर का कहना है कि यदि ये रोहिंग्या और बांग्लादेशी हैं, तो इन्हें तुरंत डिपोर्ट करने की जरूरत है। इनकी वजह से लखनऊ के हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है। कूड़ा उठान से लेकर यह सब्जी बेचने व कबाड़ के व्यवसाय तक में अपना पांव पसार रहे हैं। समस्या को देखते हुए नगर निगम ने कूड़ा उठाने, ठेलिया चलाने और रेगुलर व्यवस्था न होने पर दो टोल फ्री नंबर भी जारी कर दिए हैं। जोन एक, तीन, चार, छह और सात के लिए 18001234999 तथा जोन पांच, दो और आठ के लिए 18002026172 टोल फ्री नंबर जारी किए गए हैं।

Lucknow: छह करोड़ के कूड़े पर बांग्लादेशियों का कब्जा

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शहर में हर महीने करीब 06 करोड़ का कूड़ा अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशी उठाते हैं। जिस कचरे से रूपये बनाए जा सकते हैं, उस पर इनका ही कब्जा है इसीलिए यह आसानी से इस कूड़ा कारोबार पर जमे रहना चाहते हैं। लखनऊ शहर के विभिन्न इलाकों में रह रहे झुग्गी वाले अपने आप को भारतीय बताने से नहीं चूकते हैं इसीलिए यह अपने आप को कूड़ा कारोबार में जबरन बनाए रखना चाहते हैं। कूड़ा इकट्ठा कर पैसे बनाने वाली वस्तुएं निकाल कर बाकी को वास्तविक कचरा मानकर यहां-वहां फेंक देते हैं, बाद में इसे नगर निगम के कर्मचारियों को उठाना पड़ता है। असल में इंदिरानगर की प्रियदर्शिनी वार्ड में इसी विषय पर विवाद हुआ था। कर्मचारी कह रहे थे हैं कि नगर निगम के काम में यह लोग बाधा पहुंचा रहे हैं। शहर की सुंदरता को दागदार बना रहे हैं। कई अपराधों में इनके नाम आए हैं।

Lucknow: तैयार की जा रही नई टीम

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि कूड़ा उठाने के लिए या फिर शिवरी तक ले जाने के लिए नई टीम तैयार की जा रही है। प्राइमरी कूड़ा एकत्र करने में 782 वाहन उपलब्ध हैं। इसमें 74 वाहन नगर निगम के हैं। 100 से अधिक रिक्शा ट्रॉली तथा 2,081 श्रमिक लगाए गए हैं। कूड़े के प्रोसेसिंग प्लांट तक सेकेंड्री हुकलोडर 13 पोर्टल कंपेक्टर, 11 आरसी वाहन, 57 हाईवा, 17 जेसीबी तथा 7 ट्रैक्टर व ट्राली लगाई गई हैं।

खुद ही खंभे से खींच लेते हैं बिजली के तार

शहर में जहां कहीं भी झुग्गियों में घुसपैठिए रह रहे हैं, वह अपने आप को असम, पश्चिम बंगाल या फिर यूपी के सीतापुर, सुलतानपुर आदि के रहने वाले बताते हैं। माल एवेन्यू, डालीगंज, गढ़ी कनौरा, बिजनौर, गोमतीनगर या फिर किसी अन्य स्थानों पर जहां ये रहते हैं, इनके पास बिजली और पानी की भरपूर व्यवस्था है। जहां भी इनकी झुग्गियां हैं, यह लोग बिजली के पोल पर कटिया लगाकर काम चलाते हैं और खुद बिजली के पोल से तार खींच लेते हैं। गोमतीनगर में कई पार्कों में पानी की टंकी रखी हुई हैं। इनमें पानी भरने के लिए सबमर्सिबल भी हैं। शहीद पथ के नीचे रहने वाले घुसपैठिए इन पानी की टंकियों को ही अपने लिए व्यवस्था मान बैठे हैं। माल एवेन्यू में एक ही बिरादरी के होने के नाते इनको रहने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। यद्यपि यह अपने बारे में अधिक जानकारी नहीं देते हैं।

स्थानीय लोगों को अपना रिश्तेदार बताकर पानी का बंदोबस्त किए हुए है। बर्लिंगटन चौराहे की ओर से कैंट की ओर जाने वाले फ्लाईओवर के बाईं ओर नाले के किनारे बड़ी संख्या में लोग झुग्गियों में रहते हैं। इन्होंने अपने धर्म से संबंधित कई झंडे लगा रखे हैं। यहां पानी के प्रबंध पर जब पूछा गया, तो गुड्डू नाम के व्यक्ति ने बताया कि एक हैंडपंप से कई लोग पानी भर लेते हैं। जब उनके पूछा गया कि वह कहां के रहने वाले हैं, तो उन्होंने अपने आप को सीतापुर जबकि अन्य को पास के जिलों का बताया। कैमरा देखते ही गुड्डू ने अपना मुंह फेर लिया। जिसने अपना नाम गुड्डू बताया, उसका वास्तविक नाम मोहम्मद हारून है। हारून ने अपनी झुग्गी नहीं बताई, जबकि झंडों को इस्लामिक बताया। इनकी कई झुग्गियों में ऐसे तमाम झंडे लगे हैं। अपनी भाषा में काफी कुछ झंडों पर लिखवा भी रखा है।

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इस मुद्दे पर जब लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल बात हुई तो उन्होंने कहा कि हम अपने कर्मचारियों को पिटते हुए नहीं देख सकते हैं, साथ ही लखनऊ को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए हम संकल्पित हैं। हमने जिला अधिकारी और कमिश्नर से यह मांग की है कि जहां पर भी अवैध तरीके से लोग रह रहे हैं, उनको हटाया जाए। यह भी मांग की है कि जिन लोगों ने आधार कार्ड, राशन, पानी, बिजली आदि उपलब्ध कराया है, उन पर भी कार्रवाई की जाए। आधार कार्ड बन जाने से कोई देश से बाहर का व्यक्ति देश का प्रमाणिक व्यक्ति नहीं बन सकता है।

शरद त्रिपाठी

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