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कोरोना मरीज को भर्ती कराना है तो 50 हजार में मिलेंगे बेड, लखनऊ में ऐसे तय हो रहा सौदा

A COVID-19 patient wearing Oxygen Mask lays outside Indirapuram Gurudwara

लखनऊः राजधानी लखनऊ में संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही मरीजों की परेशानियां भी तेजी से बढ़ती जा रही है। ऑक्सीजन व दवाइयों की किल्लत के साथ ही निजी अस्पतालों में बेडों की दलाली लोगों की जेबें काट रही है, पर जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं। लखनऊ में हर दिन 5 हजार से अधिक कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं, जिसमें से तमाम लोगों को स्थिति गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है। सरकार द्वारा राजधानी में हर मरीज को बेड, ऑक्सीजन व जरूरी दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। कहने को तो सरकार द्वारा 55 निजी अस्पतालों की सूची जारी कर उनके नंबर भी सार्वजनिक किए गए, जिससे मरीज आसानी से बेड की उपलब्धता आदि की जानकारी कर सकें पर यह भी सिर्फ दिखावे ही साबित हो रहे हैं। तमाम निजी अस्पतालों में बेड के नाम पर दलाली का भी खेल चल रहा है।

राजधानी के सीतापुर रोड पर टोल प्लाजा से आगे स्थित एक निजी अस्पताल में मरीज भर्ती कराने गए तीमारदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में बेड खाली होने के बाद भी मरीज को भर्ती नही किया जा रहा है। बताया कि अस्पताल के गेट पर ही दलाल खड़े रहते हैं और तीमारदारों से बेड दिलाने के नाम पर 50 हजार तक की मोटी रकम मांग रहे हैं। यही नहीं ऑक्सीजन व दवाई के नाम पर भी यहां मोटी रकम वसूली जा रही है। कहने को तो यह सिर्फ तीमारदार ही जान रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी भी यह भली-भांति जानते हैं कि कुछ निजी अस्पतालों में यह खेल चल रहा है पर वह भी चुप्पी साधे हुए हैं।

20,000 में हो रही रेमडेसिविर की कालाबाजारी

राजधानी में कहने को तो सरकार ने निजी अस्पतालों में भी भर्ती मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने की बात कही है, लेकिन इसकी जमकर कालाबाजारी हो रही है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने 2450 रूपये में मिलने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन का दाम आधा घटा दिया था, जिसके बाद इसकी कीमत 1200 के आस-पास हो गयी है पर इसकी 20 हजार रूपये तक की कालाबाजारी की जा रही है। जिन लोगों के परिजन अस्पतालों में भर्ती हैं, वह मजबूरन उनकी जान बचाने के लिए महंगे दामों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद रहे हैं।

एयर कंसन्ट्रेटर भी बाजार से गायब

एक तरफ जहां सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत है तो वहीं इससे संबंधित उपकरणों जैसे- एयर कंसन्ट्रेटर भी बाजार से गायब हो चुके हैं। यदि कुछ लोगों के पास एयर कंसन्ट्रेटर है भी तो वह इसकी जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। वैसे तो इसकी कीमत 30-60 हजार के बीच होती है, लेकिन इस समय इसकी एक-डेढ़ लाख रूपये में कालाबाजारी की जा रही है। यही नहीं तमाम लोगों ने 15-20 हजार रूपये प्रति महीने किराये पर इसे उठाना शुरू कर दिया है और यह बाजार में तो ढूढे नही मिल रहे हैं।

लाखों में बिक रहे बाइपैप

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा सांस की दिक्कत हो रही है, ऐसे में तमाम मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है और इसकी किल्लत को लेकर प्रदेश ही नही पूरे देश में कोहराम है। इस बीच तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को डॉक्टर बाइपैप की सलाह दे रहे हैं, लेकिन यह भी बाजार से गायब है। बमुश्किल 50-60 हजार की कीमत में मिलने वाले बाइपैप की इस समय में लाखों रूपये में कालाबाजारी हो रही है।