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IAS बनने के लिए छोड़ी थी एचआर मैनेजर की नौकरी, बन गई कूड़ा बीनने वाली

IAS

 

गोरखपुर: कभी-कभी अत्यधिक महत्वाकांक्षी होना भी हमारे लिए सही नहीं होता है। अधिक महत्वाकांक्षी लोग पहले बड़े-बड़े सपने पालते हैं और मेहनत करते हैं इसके बावजूद अगर उनका सपना पूरा नहीं होता तो वे डिप्रेशन में तक चले जाते हैं। इसका बड़ा उदाहरण बनी है हैदराबाद की एक युवती। जिसकी कहानी जानकर आप हैरान हो जाएंगे..

बता दें, हैदराबाद की इस युवती ने आईएएस बनने का सपना लेकर मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी खासी एचआर मैनेजर की नौकरी छोड़ दी। फिर सालों तक मेहनत के बाद जब आईएएस क्लियर नहीं कर पाई, तो डिप्रेशन में आ गई। सिर्फ यही नहीं, उसके दिमाग की बीमारी इतनी बढ़ गई और वह अब ‘कूड़ा बीनने वाली’ बन गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब आठ महीने पहले उसने घर छोड़ दिया। घर से निकलने के बाद अब मांगते-खाते और भटकते हुए करीब डेढ़ हजार किलोमीटर दूर गोरखपुर पहुंच गई है। इस लड़की की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।

जानकारी के अनुसार, वारंगल की रहने वाली रजनी टोपा 23 जुलाई को पागलों की हालत में गोरखपुर के तिवारीपुर थाने के पास मिली थी। वह कूड़ेदान के पास फेंके हुए सूखे चावल बीन कर खा रही थी। वहां मौजूद लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस वाले जब मौके पर पहुंचे तो इन्‍हें देखकर वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनी लगी। वह हिंदी भी थोड़ी बहुत बोल लेती थी। पुलिसवालों ने उसे महिला मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन के हवाले कर दिया। संस्थान में रजनी का इलाज शुरू हुआ जिससे उनकी हालत सुधरने लगी।

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रजनी के पिता ने मातृछाया के अधिकारियों को बताया कि साल 2000 में एमबीए की पढ़ाई प्रथम श्रेणी से पास की तो उसका इरादा आईएएस बनने का था। दो बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी, लेकिन दोनों बार उसे नाकामयाबी मिली। इसके बाद वह डिप्रेशन में रहने लगी। डिप्रेशन से बचने के लिए उसने एचआर की जॉब की, लेकिन वह नौकरी भी छूट गई। इसके बाद दिमागी संतुलन तेजी से बिगड़ने लगा। नवंबर में उसने घर छोड़ दिया और फि‍र वह घूमते-घूमते गोरखपुर पहुंच गई। बीते 23 जुलाई को उसे पुलिस ने मातृछाया के सुपुर्द किया था।

इलाज और काउंसलिंग से रजनी की हालत सुधरी तो उसने घर का पता बताया। तेलंगाना के वारंगल के हनमकोंडा में रजनी का परिवार रहता है। मातृछाया की टीम ने उसके परिजनों से संपर्क किया। परिवार में दिव्यांग पिता, बूढ़ी मां और एक भाई है, लेकिन तीनों ने गोरखपुर आने से इनकार कर दिया। इसके बाद मातृछाया की टीम रजनी को हवाई जहाज से लेकर उसके घर पहुंची।