कानपुर: कानपुर के मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध हैलट अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजों और मृतकों के साथ घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां 73 साल की कोरोना संक्रमित बुजुर्ग की मौत के बाद अंतिम संस्कार भी हो गया लेकिन हैलट अस्पताल मंगलवार को दो-दो बार मैसेज के जरिए उनकी सेहत की जानकारी परिजनों को देता रहा।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अस्पतालों की लापरवाही की एक लंबी फेहरिस्त बन चुकी है। निजी अस्पताल तो मानवता भूल चुके हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी ऐसा लगता है कि खेल चल रहा है। लापरवाही हद दर्जे की जा रही है। ऐसा ही एक मामला कानपुर के हैलट अस्पताल का निकल कर सामने आया है, जहां पर दो दिन पहले मर चुकी महिला के इलाज का हाल हैलट अस्पताल प्रबंधन परिजनों को बताता रहा।
दरअसल, गीता नगर निवासी प्रियदर्शनी शुक्ला की बहू प्राची शुक्ला की माने तो उनकी सास और ससुर दोनों ही कोरोना से संक्रमित हो गए थे। उनकी सास प्रियदर्शनी शुक्ला को 13 मई को हैलट के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद से परिजनों को एक बार भी उनका हाल नहीं बताया गया। परिजनों की माने तो बुजुर्ग प्रियदर्शनी को वेंटिलेटर की जरूरत थी। उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी लेकिन वह साधारण ऑक्सीजन बेड पर ही रखी गई। जिसके चलते 16 मई को उनकी मौत हो गई।
बहू प्राची शुक्ला का कहना है कि इस दौरान अस्पताल प्रशासन द्वारा सास का कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार भी कर दिया गया लेकिन मंगलवार को दिन में करीब 3:30 बजे मोबाइल पर मैसेज आया कि उनकी हालत ठीक नहीं है। ऑक्सीजन लेवल 92 है। इसके बाद शाम 6:45 बजे दोबारा मैसेज आया कि प्रियदर्शिनी शुक्ला की मौत हो गई है।
इस सम्बंध में कानपुर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद बुजुर्ग महिला की 16 मई को मौत हो गई थी, जिस पर हैलट की तरफ से अगले दिन 17 तारीख को परिजनों को दो-दो मैसेज मिले। यह सब बताता है कि कैसे कोरोना संक्रमित और उनके परिजनों के साथ हमारा सिस्टम तालमेल रखता है। जहां तक उनके परिजनों को मैसेज भेजने की बात है तो कोविड कमांड कंट्रोल सेंटर में शिफ्ट बदलने के चलते यह गड़बड़ी होने की आशंका है और तभी 17 तारीख को दूसरी शिफ्ट के कर्मियों द्वार मैसेज भेज दिया गया। इस मामले में एसआईसी के नेतृत्व में कमेटी बनाकर जांच कराई जा रही है।