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Holi 2023: 7 या 8 मार्च कब है होली? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और कथा

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holi-2023 नई दिल्लीः रंगों का त्यौहार होली सभी को बेहद पसंद होती है। हिंदू धर्म में होली बड़े पर्वो की श्रेणी में आता है। होली के आने का सभी बेसर्बी से इंतजार करते हैं। होली (Holi) आने से पहले से लोग इस पर्व की जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर देते हैं। रंगों के त्योहार होली (Holi) के दिन लोग एक दूसरे को रंग, अबीर, गुलाल लगाते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होता है। इसे छोटी होली भी कहा जाता है और उसके अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर हर्षोल्लास के साथ रंगों से होली का पर्व मनाया जाता है। हर बार होली पर्व पर तिथि को लेकर लोगों में संशय रहता है। लेकिन इस वर्ष होलिका दहन (Holika Dahan) और होली पर्व की तिथि को लेकर कोई भी संशय नहीं हैं। इस साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 07 फरवरी (मंगलवार) को है और इसी दिन होलिका दहन होगा। इसके अगले चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन 08 फरवरी (बुधवार) को होली खेली जाएगी। इस साल होलिका दहन की तिथि पर सुबह के समय भद्रा रहेगी। होलिका दहन (Holika Dahan) का शुभ मुहूर्त फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च (सोमवार) को शाम 04.17 बजे प्रारंभ होगी और समापन 07 मार्च (मंगलवार) को शाम 06.09 मिनट पर होगा। होलिका दहन (Holika Dahan) फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होता है। ऐसे में होलिका दहन 07 मार्च को होगा। 07 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 06.24 बजे से रात्रि 08.51 बजे तक है। इस दिन होलिका दहन (Holika Dahan) की कुल अवधि 02 घंटे 27 मिनट तक ही है। होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन 07 मार्च को भद्रा सुबह 05.15 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। happy-holi-2023 होली (Holi) का शुभ मुहूर्त होलिका दहन (Holika Dahan) के अगले दिन रंगों के साथ होली (Holi) का त्योहार मनाया जाएगा। 08 मार्च को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रातःकाल से लेकर शाम 07.42 बजे तक होली का मुहूर्त रहेगा। ये भी पढ़ें..Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या के दिन तर्पण से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि होली पर्व (Holi Festival) की कथा और महत्व फाल्गुन माह में मनाए जाने वाले इस त्यौहार में बुराई पर अच्छाई का संदेश भी छिपा हुआ है। हिंदू कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) नाम का शक्तिशाली राक्षस खुद को भगवान के समतुल्य मानने की भूल कर बैठा था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद (Prahlad) भगवान की भक्ति में लीन रहता था। हिरणकश्यप (Hiranyakashyap) को अपने पुत्र की यह भक्ति नागवार गुजरती थी। इसी के चलते हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) ने प्रह्लाद (Prahlad) की जान लेने की कोशिश की और आग में न जलने का वरदान प्राप्त कर चुकी अपनी बहन होलिका (Holika) की गोद में प्रह्लाद को बैठा दिया। होलिका जल गई और भगवान की कृपा से प्रह्लाद (Prahlad) बच गया। इसलिए यह कहना तर्कसंगत होगा कि जिस पर भगवान की कृपा होती है, उससे मृत्यु भी दूर हो जाती है। होली वास्तव में एक ऐसा सतरंगी त्यौहार है, जिसे सभी भारत वासी पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सुसज्जित यह त्यौहार संप्रदाय और जाति के बंधनों को खोल देता है, सभी भाई चारे के साथ होली के त्यौहार को मनाते हैं। होली (Holi) ऐसा रंग बिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व जाति और संप्रदाय के बंधनों से मुक्त होकर होली मनाने की प्रेरणा देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होलिका दहन (Holika Dahan) की विधि होलिका दहन (Holika Dahan) के दिन लकड़ी और उपलों को शुभ मुहुर्त में जलाया जाता है। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेहूं की बालियां और उबटन को डालकर जलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भी सभी नकारात्मक शक्तियां होलिका में जलकर खाक हो जाती है और जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। साथ ही जीवन के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)