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Himachal Pradesh: ‘हिम महोत्सव’ में हिमाचल के उत्पादों की धूम, व्यंजनों की भी डिमांड

शिमला (Himachal): दिल्ली हाट में आयोजित होने वाले ‘हिम महोत्सव’ में हिमक्राफ्ट के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की भारी मांग है। पहले तीन दिनों में करीब 40 लाख रुपये की बिक्री होने का अनुमान है। यह महोत्सव 30 दिसंबर तक चलेगा।

हिमक्राफ्ट के प्रबंध निदेशक जतिन लाल ने कहा कि प्रदेश के हस्तशिल्प, हथकरघा, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों को दिल्ली में काफी सराहा जा रहा है। हिमक्राफ्ट (हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम लिमिटेड), हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम और कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया गया।

40 लाख रुपये की बिक्री की उम्मीद

प्रबंध निदेशक ने कहा कि पहले तीन दिनों में करीब 40 लाख रुपये की बिक्री की उम्मीद है। दूसरे और तीसरे दिन दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लोगों और विदेशी मेहमानों ने भी यहां जमकर खरीदारी की। उन्होंने कहा कि क्रिसमस और नये साल को देखते हुए विभाग को पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार की उम्मीद है।

किन्नौरी शॉल व कांगड़ा चाय आकर्षण का केंद्र

प्रबंध निदेशक ने बताया कि हिम महोत्सव में कुल्लू और किन्नौरी शॉल, लाहौली मोजे और दस्ताने, चमड़े पर जरी और रेशम के धागों का उपयोग करके बारीक कारीगरी से बनी चंबा चप्पलें और धातु शिल्प की अद्भुत चंबा थाल, कांगड़ा पेंटिंग और कांगड़ा चाय और बांस और शिल्प उत्पाद शामिल हैं। वहीं, ऊन, अंगोरा, पश्मीना, याक ऊन के हाथ से बुने हुए शॉल, सिरमौरी लोइया और स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए अचार और जैम सहित हिमाचली व्यंजन मुख्य आकर्षण बने हुए हैं।

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पांच से अधिक स्टाॅलों पर बिक रहे उत्पाद

दिल्ली हाट में विभाग ने हिमक्राफ्ट के 35, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के 20 स्वयं सहायता समूहों, हिमकोस्ट के पांच और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए पांच से अधिक स्टॉल लगाए हैं। इस प्रकार हिम महोत्सव में कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों के साथ-साथ हिमाचल की लोक संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य राज्य की अनूठी कला, संस्कृति एवं खानपान को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।

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