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Himachal Election result: हिमाचल में 70 प्रतिशत वोटिंग मतलब बदलगी सरकार !

Assembly Election Result 2022

मंडीः चुनाव परिणाम को अभी दो हफते का समय शेष है। सियासी अटकलों का दौर अब जोरों पर है, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलो द्वारा जीत के दावों के बीच बहुमत से सरकार बनाने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन इस बार भारी मतदान के आंकड़े सत्तापक्षा व विपक्ष को डराने लगे हैं। इस बार भी 2017 की तरह हिमाचल प्रदेश (Himachal Election) में बंपर वोटिंग हुई है। मतदान प्रतिशत 75 को छू गया है। हालांकि अभी तक इसमें कर्मचारियों व घरों में जाकर डाले गए वोट जोड़े जाने बाकी हैं। अब इतिहास गवाह है कि प्रदेश में जब जब भी मतदान 70 प्रतिशत से उपर हुआ है। लोगों ने सता बदलने के लिए वोट डाले हैं। अब देखना यह होगा कि प्रदेश में इस बार रिवाज बदलने या बने रहने जैसे नारे चले हुए हैं वह कितने सार्थक होते हैं।

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इतिहास अपने आप को दोहराता है या फिर नया इतिहास बनता है। यूं हर गली चौराहे, चौपाल, चाय ढावे समेत हर जगह हो रही गपशप में सब अपने अपने हिसाब से जमा जोड़ कर रहे हैं। जनादेश ईवीएम में बंद है मगर हिसाब लगाने वाले व्यस्त हो गए हैं। सबका गणित अपने हिसाब से फिट बैठता है। सटीक आकलन का दावा रखने वालों के तरकश में अकाट्य तीर तर्क भी मौजूद हैं। यदि हिमाचल के पिछले 6 विधानसभा चुनावों में पड़े वोटों के प्रतिशत पर नजर दौड़ाएं तो जब जब भी मतदाता ने 70 प्रतिशत की सीमा को पार किया है प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है।

1993 में साढ़े 71 प्रतिशत मतदान हुआ तो शांता सरकार की बर्खास्तगी के बाद आए राष्ट्पति शासन में चुनाव हुए व वीरभद्र सिंह की सरकार बनी। 1998 में सवा 71 प्रतिशत वोट पड़ेतो वीरभद्र सिंह की सरकार सता से बाहर हो गई व सत्ता भाजपा हिविकां को मिल गई व प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बन गए। 2003 में प्रतिशत साढ़े 74 प्रतिशत हो गया तो धूम धड़ाके से फिर वीरभद्र सिंह की सरकार आ गई। 2007 में फिर बाजी पलट गई क्योंकि इस बार प्रदेश के साढ़े 72 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया था और विशुद्ध तौर पर भाजपा की सरकार प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में बनी।

2012 में साढ़े 73 मतदाता घरों से मतदान केंद्र तक पहुंचे और सरकार पलट डाली व अच्छे बहुमत से कांग्रेस को सत्ता में ला दिया। 2017 में सबसे अधिक साढ़े 75 प्रतिशत मतदाताओं ने अपना मत डाला और कांग्रेस को बुरी तरह से हराया व भाजपा को सत्ता सौंप दी। पहली बार मंडी को मुख्यमंत्री पद का सम्मान मिला इस बार फिर से मतदाता ने खूब वोट डाले हैं। अब क्यों और क्या सोच कर डाले इस खुलासा तो 8 दिसंबर को ही होगा, मगर कयास तो लगेंगे ही। यह वोट मंडी के सम्मान में मिला है, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व व डबल इंजन की सरकार बनाने को दिया है या फिर रिवाज बनाए रखने और ओपीएस जैसे मुद्दों को ध्यान में रख कर डाला गया है।

हिमाचल में ठंड पड़ रही है, मगर गर्मागर्म बहसबाजी जोरों से चल रही है। अभी मतदान हुए कुछ दिन ही हुआ है मगर समर्थकों , कार्यकर्ताओं व नेताओं को बाकी बचे 14-15 दिन भी पहाड़ जैसे लग रहे हैं। टाइम काटे नहीं कट रहा है। अपने ही बनाए हिसाब जमा जोड़ को बार बार इधर-उधर करके ही समय के गुजरने का इंतजार करने लगे हैं।

हिमाचल प्रदेश (Himachal Election) के लगभग 42 लाख मतदाताओं ने प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए 412 उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम मशीनों में कैद कर दिया है। अब प्रदेश में ,रिवाज बदलेगा कि ताज, इस रहस्य का खुलासा आठ दिसंबर को ही होगा जब ईवीएम बाहर आएंगी और इसमें पड़ें मतों की गिनती होगी। हिमाचल प्रदेश में इस बार भी भाजपा व कांग्रेस के बीच ही मुकाबला हुआ है।

ऐसे में किसी तीसरे दल के दखल या कोई उल्ट फेर करने की कोई गुंजाइश अभी तक नहीं दिख रही। भाजपा पहले से ही यह नारा देते आ रही है कि हर पांच साल बाद सरकारें बदलने का जो रिवाज हिमाचल प्रदेश में कई सालों से चल रहा है वह बदलना होगा। इस बार रिवाज बदलेगा और सरकार फिर से भाजपा की बनेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस का नारा है कि रिवाज नहीं ताज बदलेगा। अब देखना है जनता ने किसके कहे को मानते हुए अपना जनादेश दिया है। इसका खुलासा आठ दिसंबर को हो जाएगा।

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