शिमलाः हिमाचल प्रदेश की हॉट सीटों में से एक शिमला शहरी में ”चायवाला” के नाम से सुर्खियां बटोरने वाले भाजपा के संजय सूद का मुकाबला कांग्रेस के हरीश जनारथा से होगा। हालांकि शहर के डिप्टी मेयर रहे टिकेंद्र पंवर माकपा की टिकट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करेंगे। इस सीट पर पिछले 15 वर्षों से भाजपा का कब्ज़ा है। कांग्रेस उम्मीदवार हरीश जनारथा पिछले दो विधानसभा चुनाव यहां कम अंतर से हार गए थे।
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वर्ष 2012 के विस के चुनाव में उन्हें मात्र 628 मतों और वर्ष 2017 के चुनाव में 1903 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह के करीबी होने की वजह से इस बार वह कांग्रेस की टिकट झटकने में कामयाब हो गए। आम जनता में उनकी मजबूत पकड़ को देखते हुए कांग्रेस ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है। वहीं भाजपा ने चौंकाते हुए जीत की हैट्रिक लगाने वाले कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज को शहर से सटे कुसुम्पटी हल्के भेज दिया। उनकी जगह प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष व पुराने कार्यकर्ता संजय सूद को शिमला शहरी से उतारा गया है। पुराने बस अड्डे पर चाय की दुकान करने वाले संजय सूद का यह पहला चुनाव है।
भाजपा ने जातीय समीकरणों का फायदा उठाने के लिए संजय सूद पर दांव खेला है, क्योंकि शहर में सूद समुदाय के मतदाताओं की तादाद हज़ारों में है। वहीं कांग्रेस ने ऊपरी शिमला के लोगों के मतों को खींचने के लिए रोहड़ू से ताल्लुक रखने वाले हरीश जनारथा को टिकट दी है। शिमला शहर में ज्यादातर मर्तबा ऊपरी शिमला से सम्बंध रखने वाला उम्मीदवार ही विजयी रहा है। इसकी वजह यह है कि शहर में बड़ी संख्या में ऊपरी शिमला के लोग रहते हैं। इससे उलट भाजपा ने पहली बार सूद समुदाय के व्यक्ति को अपना उम्मीदवार बनाने का जोखिम उठाया है।
भाजपा के एक स्थानीय नेता कहते हैं कि जातीय समीकरण साफ तौर पर हमारे पक्ष में हैं। शहर में सूद वोटों की खासी संख्या है। संजय सूद का ससुराल ऊपरी शिमला के रामपुर में है। ऐसे में ऊपरी शिमला के भी हमें अच्छे खासे वोट हमें मिलने वाले हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने एक चाय वाले को टिकट दी है, जो केवल भाजपा में ही संभव है। वहीं कांग्रेस के एक स्थानीय नेता इस बात से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हरीश जनारथा की लोगों के बीच अच्छी पकड़ है। वह दो चुनाव मामूली अंतरों से हारे हैं। इस सीट पर माहौल कांग्रेस के पक्ष में है और इस बार जीत भारी मतांतर से होगी। वे भी शिमला नगर निगम के डिप्टी मेयर रह चुके हैं।
शिमला शहरी सीट पर माकपा पिछले दो चुनावों से चार से सात हजार वोट लेकर निर्णायक भूमिका निभा रही है। माकपा उम्मीदवार टिकेंद्र पंवर शहर के डिप्टी मेयर रह चुके हैं और उनकी युवाओं व बुद्धिजीवियों में अच्छी पकड़ है। राजनीति पंडितों की मानें तो टिकेंद्र पंवर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाएंगे, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में माकपा यहां जीत का झंडा गाड़ चुकी है। शिमला शहर के विधानभसा क्षेत्र में नगर निगम के 22 वार्ड आते हैं।
कुल मिलाकर भाजपा जहां नए चेहरे को उतारकर अपने गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है। वहीं कांग्रेस ने हरीश जनारथा को उम्मीदवार बनाकर वीरभद्र फैक्टर को भुनाने की कोशिश की है। शिमला शहरी सीट पर सात उम्मीदवार मैदान में हैं।
आंकड़ों पर एक नजर
कुल मतदाता-48503
पुरुष मतदाता-25308
महिला मतदाता-23195
कुल उम्मीदवार- सात
भाजपा, कांग्रेस और माकपा के उम्मीदवार करोड़पति
शिमला में भाजपा के चायवाला 2.70 करोड़ का मालिक
करोड़ों का मालिक है भाजपा का चायवाला उम्मीदवार
भाजपा ने शिमला शहर में भाजपा का चायवाला उम्मीदवार करोड़पति है। दरअसल भाजपा ने ओल्ड बस स्टैंड में चाय की दुकान करने वाले संजय सूद को टिकट दी है। संजय सूद चाय वाले के नाम से भाजपा में सुर्खियां वटोर रहे हैं। रोचक बात यह है कि नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हल्फनामे में उन्होंने अपनी संपति 2.70 करोड़ रूपये दिखाई है। इसमें एक करोड़ की चल और 1.70 करोड़ की अचल संपति है। हल्फनामे के मुताबिक संजय सूद की चल संपति में उनके पास 53.94 लाख, पत्नी के पास 45.75 लाख और बच्चे के पास 1.55 लाख जमा हैं।
संजय सूद के पास 40 हजार और पत्नी के पास 15 लाख के जेवर हैं। इसके अलावा उनके पास एक मारूति कार है। वहीं उनकी पत्नी के पास 13 लाख की लग्जरी कार है। संजय सूद के चार बैंक खातों में चार लाख से अधिक राशि जमा है। नामांकन के दौरान उनके पास 1.1 लाख और पत्नी के पास डेढ लाख रूपये थे। संजय सूद की अचल संपति में रामपुर में 25 लाख की कृषि भूमि, खलीनी में साढ़े सात लाख की गैर कृषि भूमि के अलावा डेढ़ करोड़ का रिहायशी भवन है। उनकी पत्नी की अचल संपति 25 लाख है। संजय सूद ने वर्ष 1986 में बीए की है।
कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश जनार्था की सम्पति 4.66 करोड़
कांग्रेस प्रत्याशी व शिमला नगर निगम के पूर्व उपमहापौर टिकेंद्र पंवर भी करोड़पति उम्मीदवारों की लिस्ट में आते हैं। चुनावी हल्फनामे पर नजर डालें तो उनका परिवार 4.66 करोड़ की संपति का मालिक है। इनमें 2.36 करोड़ की चल और 2.30 करोड़ की अचल संपति है। हरीश जनार्था के पास तीन गाड़ियां, एक जीप और एक बुलेट है। उनकी पत्नी के पास भी एक कार है। हरीश जनार्था के पास साढ़े सात लाख और पत्नी के पास 10 लाख के जेवर हैं। उनके नाम 2.21 करोड़ और पत्नी के लरम 15.15 लाख की चल संपति है। हरीश जनार्था के नाम कृषि भूमि नहीं है। हालांकि उनकी 60 लाख की गैर कृषि भूमि है। उनका चंड़ीगढ़ में एक फलैट है, जिसकी कीमत 50 लाख है। हरीश जनार्था पर 30 लाख की देनदारियां भी हैं। उन्होंने वर्ष 1986 में पंजाब विवि से बीए की है।
माकपा के टिकेंद्र पंवर के नाम 4.34 करोड़
माकपा प्रत्याशी व शिमला नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर 4.34 करोड़ की संपति के मालिक हैं। उनकी 34.85 करोड़ की चल एवं 4 करोड़ की अचल संपति है। नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में उन्होंने यह जानकारी दी है। टिकेंद्र पंवर की चल संपति में दो सेविंग बैंक खाते और आठ एफडीआर में पैसे जमा हैं। अचल संपति में उनके नाम दो करोड़ की कृषि भूमि और पत्नी के नाम दो करोड़ का रिहायशी भवन है। 51 वर्षीय टिकेंद्र पंवर ने वर्ष 1992 में हिमाचल विवि से बीए की है। इसके अलावा उन्होंने सिंगापुर से अर्बन स्टडीज में डिप्लोमा भी किया है।
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