Sunday, December 15, 2024
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Homeदिल्लीहाई-प्रोफाइल मामले जहां CBI भी उलझी

हाई-प्रोफाइल मामले जहां CBI भी उलझी

लखनऊ: सीबीआई, देश की सबसे बड़ी और काबिल एजेंसी जिसकी जांच के आगे बड़े से बड़ा नेता, अपराधी और नौकरशाह थरथर कांपने लगते हैं। लेकिन कुछ ऐसे केस जिन्हें सुलझाने में सीबीआई खुद उलझी नजर आई। सीबीआई को बहुचर्चित आरुषि-हेमराज केस में कातिल नहीं मिला। निठारी कांड में भी सीबीआई के हाथ खाली रहे। यूपी के अन्य बहुचर्चित मामले जैसे शशांक, प्रवीश चनम और एमिटी छात्र जस्टिन के कातिलों का सुराग लगा पाने में सीबीआई के तेजतर्रार अधिकारी भी नाकाबिल ही साबित हुए। उपरोक्त किसी भी केस में प्रतिष्ठित जांच एजेंसी को कोई सुराग हाथ नहीं लगा। कई मामलों में तो सीबीआई आरोपियों को कोर्ट में दोषी साबित कर पाने में नाकाम रही और आरोपियों को राहत मिल गई। ताजा मामला देश को हिला देने वाले निठारी कांड का है। यहां तो सीबीआई की सभी दलीलों के साथ की गई विवेचना की ही हाईकोर्ट ने धज्ज्यिां उड़ा दी। आईए कुछ ऐसे चर्चित मामलों के बारे में जानते हैं जिनकी कडियां सुलझाने में सीबीआई खुद उलझ गई।

हर्षद मेहता घोटाला  

स्कैमः फ्रॉम हर्षद मेहता टू ग्लोबल ट्रस्ट बैंक नामक पुस्तक में सुचेता दलाल और देबाशीष बोस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे सीबीआई ने जांच को गुमराह करने की कोशिश की। शीघ्र आरोप पत्र दाखिल करने और जांच पूरी करने के बजाय, सीबीआई ने के माधवन के इस्तीफे और नशीले पदार्थों के वित्तपोषण में मेहता की भूमिका के बारे में कहानियां फेलाईं। समिति की आलोचना का सामना करने के बाद, सीबीआई ने हर्षद मेहता की संपत्ति जब्त करने की झूठी अफवाह फैला दी। उन्होंने यूनियन कमर्शियल बैंक के के मगरबंथु को भी गिरफ्तार किया और हफ्तों तक हिरासत में रखा। क्या किसी को सज़ा हुई- किसी को नहीं।

2जी स्पेक्ट्रम मामला

2जी स्पेक्ट्रम मामले ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली दूसरी यूपीए सरकार को हिलाकर रख दिया था। सीबीआई ने चार अलग-अलग दिशाओं में आरोपपत्र दायर किए, जिनका कुल योग एक लाख पन्नों से अधिक था। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी ने 2जी मामले का फैसला सुनाया और एस्सार समूह और लूप टेलीकॉम प्रमोटरों को मामले से बरी कर दिया। भारी-भरकम आरोपपत्र दाखिल करने के बाद भी सीबीआई एक भी दोषसिद्धि सुनिश्चित नहीं कर सकी। सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट लापरवाही भरी थी और इसमें अदालत में बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए गए थे। क्या किसी को सज़ा हुई- किसी को नहीं।

बोफोर्स मामला

भारत और स्वीडिश हथियार निर्माता एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये पर सहमति बनी। इस सौदे से भारतीय सेना को हॉवित्जर तोपें मिलेंगी। स्वीडिश रेडियो का दावा है कि एबी बोफोर्स ने शीर्ष भारतीय राजनेताओं को रिश्वत दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने बोफोर्स मामले में सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी घटिया जांच से सरकारी खजाने को 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। खराब आरोप पत्र न्यायिक जांच में टिक नहीं पाया और हिंदुजा बंधुओं – गोपीचंद प्रकाशचंद और श्रीचंद और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए गए। क्या किसी को सज़ा हुई- किसी को नहीं।

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बेल्लारी खनन मामला

बहुचर्चित बेल्लारी खनन मामले में बीएस येदियुरप्पा का नाम आया था, जिसके चलते उन्हें सीएम पद से हाथ धोना पड़ा था। येदियुरप्पा और उनके रिश्वतखोरी के आरोपों के अलावा, खनन कारोबारी और पूर्व भाजपा मंत्री गली जनार्दन रेड्डी की भी मामले की फाइलों में पहचान की गई थी। इन दोनों मंत्रियों ने मामले को पटरी से उतारने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया। सीबीआई ने वाणिज्य विभाग से कहा कि इस जानकारी से प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। इस तरह कर्नाटक का 35,000 करोड़ रुपये का अवैध खनन मामला दब गया। हैरानी की बात है कि प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर नहीं की। क्या किसी को सज़ा हुई- किसी को नहीं।

मोईन क़ुरैशी मामला

जब निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राजीव अस्थाना एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने लगे तो सीबीआई को अपने आप में एक नाटक का अनुभव हुआ। अस्थाना और वर्मा दोनों ने एक दूसरे पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया। यह सब मोइन क़ुरैशी मामले से शुरू हुआ, जहां अस्थाना ने आरोप लगाया कि वर्मा ने दो करोड़ रुपये लिए थे और वर्मा ने यह कहकर पलटवार किया कि अस्थाना ने कुरेशी मामले की एफआईआर को रद्द करने के लिए व्यवसायी सतीश बाबू सना से रिश्वत ली थी।

पंजाब नेशनल बैंक घोटाला

इस मामले में चाचा भतीजे की जोड़ी फरार है, जिसमें ₹13,578 करोड़ की धोखाधड़ी शामिल है। मेहुल चोकसी और नीरव मोदी फरार हैं। बुरी तरह पिटे और जेल में बंद मेहुल चोकसी की हालिया तस्वीरें सामने आईं। चूंकि चाचा-भतीजे की जोड़ी सीबीआई की नाक के नीचे से भाग निकली, इसलिए अब तक कुछ हासिल नहीं हुआ है।

वाड्रा के खिलाफ डीएलएफ घोटाला

कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ जमीन हड़पने के घोटाले का आरोप लगा था। वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने मानेसर के शेखपुरा गांव में 3.5 एकड़ का प्लॉट खरीदा और इसे 58 करोड़ में बेच दिया। इससे पहले कि सीबीआई कुछ कर पाती, उन्हें क्लीन चिट दे दी गई।

विजय माल्या केस

किंगफिशर बियर और किंगफिशर एयरलाइंस का मालिक भी फरार है। उन पर 9000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। 2016 मे विजय माल्या के यूनाइटेड किंगडम भाग जाने के बाद हुई जांच का नेतृत्व अस्थाना ने किया था। बैंकों ने भले ही उनकी संपत्तियों को जब्त कर लिया हो, लेकिन विजय माल्या अभी भी यूके में अपने घर में आराम से रह रहे हैं। क्या किसी को सज़ा दी गई-किसी को नहीं।

(रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान, लखनऊ)

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