रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की कोर्ट ने नेत्रहीन रेप पीड़ित की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई की। प्रार्थी के अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पैरवी की। कोर्ट ने बुधवार को नेत्रहीन रेप पीड़ित आदिवासी युवती के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह आने वाले बच्चे के नाम पर नेशनल बैंक में 10 लाख रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट कराए, ताकि 21 वर्ष होने पर यह राशि उस बच्चे को मिल सके।
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कोर्ट ने पीड़िता के लिए विकलांग पेंशन चालू करने का भी निर्देश सरकार को दिया। राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह आने वाले बच्चे के प्री डिलीवरी एवं पोस्ट डिलीवरी की जिम्मेदारी वहन करे। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि इस तरह के मामलों को देखते हुए रांची में शेल्टर होम खोलने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने इस आदेश को राज्य के मुख्य सचिव, समाज कल्याण महिला और बाल विकास विभाग के सचिव, रांची डीसी एवं डालसा, रांची के सचिव को भी भेजने का निर्देश दिया है। यह आदेश राज्य सरकार को देते हुए कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया।
इससे पहले मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित का गर्भपात नहीं हो सकता है। क्योंकि, वह 28 सप्ताह की गर्भवती है। इसके बाद कोर्ट ने रिम्स, राज्य सरकार और प्रार्थी के अधिवक्ता को इस मामले में आगे क्या किया जा सकता है इस पर आपस में बैठकर विचार करने को कहा था। उल्लेखनीय है कि पीड़ित नगड़ी थाना क्षेत्र में रहती है। उसके साथ वर्ष 2018 में पहली बार रेप हुआ। उसके साथ फिर से रेप की घटना हुई, जिससे वह गर्भवती हो गई। उसने आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए कोर्ट से गर्भपात कराने की गुहार लगाई है।
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