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लोकोन्मुखी राजनीति के नायक

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वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव ने भारत की राजनीति में सत्ता-समीकरण को बदल दिया और इसका श्रेय वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है जिन्होंने जन-मन की तजबीज करते हुए उसकी आशाओं, आकांक्षाओं और संशयों को संबोधित किया। मोदी जी ने इसके पहले अपने को गुजरात तक सीमित राजनेता के रूप में रखा था हालांकि प्रचारक के रूप में वे पूरे भारत से पहले ही वाकिफ हो चुके थे। केंद्र की राजनीति की ओर पहली बार रुख करने पर भी अपनी राजनैतिक समझ और कुशलता से सत्ता पर जो पकड़ हासिल की वह आज आठ साल बाद भी कामयाबी के नए शिखर छू रही है।

गुजरात के एक गाँव में साधारण परिवार में जन्मे युवा मोदी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में प्रचारक के रूप में कार्य शुरू किया और अपने परिश्रम, अध्यवसाय और लोकाभिमुख कार्यों से अपनी ख़ास जगह बनाई। व्यापक भारतीय समाज से जुड़ने और हर वर्ग के साथ सीधे संपर्क ने मोदी जी को भारतीय समाज की स्वाभाविक समझ विकसित की, उसके मिजाज का उन्हें सहज अंदाज लगा और उसके साथ संवाद की उनकी अपनी निजी शैली जादू की तरह काम करती रही। सत्ता के आँगन में पहली बार आकर टिकने वाले नेता मोदी जी गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री पद पर पूरे बारह साल आसीन रहे और झंझावातों के बीच भी निरापद बने रहे। गुजरात के दंगों से सीख कर वहां पर परिस्थितियों को नियंत्रित कर सौहार्द के साथ प्रदेश को प्रगति की राह पर ले चलने की उनकी उपलब्धि कम महत्त्व की नहीं है।

वर्ष 2014 के आम चुनाव के ठीक पहले जो मुद्दे, विषय और चिंताएं उभर कर सामने आ रही थीं उससे यूपीए की नीतियों और उपलब्धियों को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी थीं। इनमें अकर्मण्यता, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण की नीति और पार्टी में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लोप। इन सबका खामियाजा पार्टी और देश सबने भुगता। दीर्घकालिक उपेक्षा के कारण लंबित और तात्कालिक रूप से उपजती समस्याओं का सम्मिलित परिणाम था कि मोदी जी को दो आम चुनावों में अपार जन समर्थन मिला और अब बहुमत वाली उनकी गैर-कांग्रेसी सरकार के आठ साल पूरे हो रहे हैं।

मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भारत के अधिकाँश प्रदेशों में काबिज हैं। उत्तर प्रदेश के ताजा चुनाव मोदी जी के लिए अभूतपूर्व जन-समर्थन को ही बताते हैं। इस सरकार की उपलब्धियों को लेकर काफी कुछ मीडिया में आ रहा है। परन्तु इस राजनैतिक सफलता के कई पहलू ऐसे हैं जिन पर ध्यान नहीं दिया गया है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सरकारी योजनाओं से जनता-जनार्दन को रूबरू करते हुए उसे लाभ मिलने की अनुभूति कराना।

मोदी जी अपने स्वाभाविक संवाद-कौशल से ऐसे अवसर बनाते रहते हैं जब जनता को उसकी ठेठ भाषा में अपना मंतव्य बता सकें। ‘मन की बात’ का उनका कार्यक्रम और ‘इग्जामिनेशन वैरिअर्स’ के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करना उनकी सकारात्मक वैचारिक ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाता है। उनकी जनसभाएं भी सकारात्मक सन्देश वाली और प्रेरणादायी होती हैं। वे अपने वक्तव्यों में अक्सर क्षमताओं, कार्य-योजनाओं और संभावनाओं को उपलब्धियों से जोड़ते हैं। यह सब वे ह्रदय की भाषा का उपयोग करते हुए करते हैं। जन-कल्याण उनके लिए कहने की बात नहीं है, वह उनके कार्यों में भी दिखता है। वे सब तक पहुँचना चाहते हैं और सबका आदर भी करते हैं। पद्म पुरस्कारों की सूची में अब दूरदराज के विख्यात लोग जो आम जनता के प्रतिनिधि हैं और अपने क्षेत्र में दक्ष हैं, दिख रहे हैं।

आज सुशासन एक नारा भर नहीं है। स्टार्ट अप, व्यापार में सुविधा की, भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान, जन-धन खाते खुलना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल आधार संरचना को सुदृढ़ बनाना और व्यर्थ हो चुके कई कानूनों को हटाना कुछ ऐसे ठोस कदम हैं जिनके परिणाम प्रत्यक्ष रूप में दिख रहे हैं। फर्जीवाड़ा पर जबरदस्त प्रहार हुआ है और हो रहा है। तकनीकी शिक्षा की दृष्टि से अनेक नए एम्स, मेडिकल कालेज, आईआईएम और आईआईटी आरम्भ हुए हैं। विश्वविद्यालयों की संख्या अब एक हजार से अधिक हो चुकी है। अटल टिंकरिग लैब और अटल इन्कुवेशन सेंटर जैसी योजनाओं द्वारा युवा और किशोर छात्र छात्राओं को सृजनात्मकता के लिए प्रेरणा और अवसर दिया जा रहा है।

शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार करते हुए जब पहली बार सरकार बनी थी तभी देश के लिए शिक्षा नीति बनाने का निश्चय हुआ और पांच साल में वह बन कर 2020 में प्रकाश में आई और अब उसके क्रियान्वयन की प्रतीक्षा है। इस बीच अनेक शिक्षा संस्थाएं दुरावस्था का शिकार होती रही हैं (और शिक्षा मंत्रालय ही ऐसा मंत्रालय है जिसमें आठ साल में चार मंत्री बदले गए हैं!). नीति में संरचना, प्रक्रिया और विषय-वस्तु को लेकर आमूल-चूल बदलाव की व्यवस्था है। मातृभाषा में शिक्षा, प्रतिभा के प्रोत्साहन के लिए लचीलापन, अध्यापक-प्रशिक्षण में सुधार, स्थानीय संस्कृति और समाज से घनिष्ट सम्बन्ध, आनलाइन शिक्षा की व्यवस्था, कौशल अर्जित करने पर जोर, भारतीय ज्ञान परम्परा और प्राचीन भाषाओं के समावेश की व्यवस्था कुछ महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जो इसे भावी भारत के निर्माण के लिए अनिवार्य बनाते हैं। आशा है शीघ्र ही इस पर कार्यवाही भी होगी।

यदि सामाजिक क्षेत्र में ‘तीन तलाक’ को लेकर हुई व्यवस्था युगांतरकारी कदम है तो सामरिक दृष्टि से दम-ख़म दिखाते सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से भारतवासियों को गर्व की अनुभूति हुई थी। हाल ही में यूक्रेन युद्ध की जटिल परिस्थिति में ‘आपरेशन गंगा’ द्वारा वायु सेना ने भारतीयों को कठिन परिस्थितियों में ले आने का कार्य किया। पूर्वोत्तर भारत की स्थिति में सकारात्मक सुधार आया है। जीएसटी द्वारा देश की कर प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त किया गया है। इधर देश का निर्यात बढ़़ा है और स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और कठिन परिस्थियों में भी देश की अर्थ व्यवस्था उन्नति की ओर अग्रसर है। खाद्यान उत्पादन बढ़ा है। आज 51 यूनीकार्न स्टार्टअप भारत में हैं। जी-20 देशों में भारत की गणना सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था में की जा रही है। विश्व के लगभग सभी राजनैतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मंचों पर भारत को सम्मान के साथ अवसर मिलता है और उसकी बात और देशों द्वारा गौर से सुनी जाती है। राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाने के लिए मोदी जी सदैव सचेष्ट रहते हैं। नेपाल और श्रीलंका के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता पहुंचाना इसके ताजा उदाहरण हैं।

कोरोना की महामारी ने पूरे विश्व को बुरी तरह से प्रभावित किया था। प्रधान मंत्री मोदी ने आगे बढ़ कर शीघ्रता, कुशलता और धैर्य के साथ इस महामारी का अनेक स्तरों पर सामना किया। इसके लिए टीका उत्पादन की व्यवस्था और विशाल जनसंख्या वाले देश में टीकाकरण के प्रबंधन विकट समस्या थी। मोदी जी ने समय पर सफलतापूर्वक आवश्यक कदम उठाए और सारी व्यवस्था को अंजाम दिया। साथ ही उन्होंने अन्य देशों को भी मानवीय आधार पर मदद भी पहुंचाई।

कश्मीर से धारा 370 का हटाया जाना एक ऐतिहासिक कार्य था जिसे स्पर्श नहीं किया जाता था और जिसके अनेक दुष्परिणाम होते रहे हैं। बड़े साहस और संकल्प के साथ इस कार्य को संवैधानिक अंजाम देकर जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र को भारतीय संविधान की व्यवस्था के अनुरूप संचालित करने का श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है। इसी तरह अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण और काशी में विश्वनाथ मंदिर परिसर का कायाकल्प चिरकाल से प्रतीक्षित था जिसे कार्य रूप दिया गया। भीषण आपदा के बाद केदारनाथ धाम के क्षेत्र में पुनर्वास और निर्माण का अद्भुत कार्य भी मोदी जी की रूचि से संभव हुआ।

मोदी जी समग्र देश का विकास करने के लिए सबका आह्वान करते हैं। वे राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ हैं। उनकी कार्य-शैली और उनकी उपलब्धि उन्हें लोकप्रिय बनाती है। वे कठोर निर्णय लेने में नहीं हिचकिचाते और अपने सहयोगियों पर पैनी नजर रखते हैं। किसान आन्दोलन बड़ी चुनौती थी और कृषि कानूनों को वापस लेकर उन्होंने सूझ-बूझ का परिचय दिया।

स्वतंत्रता की 75 वीं वर्ष गाँठ को अमृत महोत्सव के रूप में मनाने का उनका संकल्प स्वाधीन भारत की संकल्पना करता है। इसके लिए देश का शासन तंत्र और जनता की मानसिकता दोनों को बदलना होगा। सरकारी अफसर, सरकारी बाबू, न्यायालय तथा पुलिस आदि आज भी अधिकाँश जगहों पर सुविधा शुल्क चाहिए ही चाहिए। प्रदूषण, मिलावट, हिंसा आदि के द्वारा अधिकार ज़माना लोगों की आदत बन चुकी है। ऐसे में मोदी जी जब उत्साह के साथ ‘बदला भारत’ और ‘नया भारत’ का चित्र उकेरते हैं तो लगता है इस तरह के प्रयास के लिए संस्थाओं की शुचिता स्थापित और सुरक्षित करनी होगी। चरित्र और मूल्य स्थापित करने पर ही हम श्रेष्ठ भारत की गौरवमयी अस्मिता को स्थापित कर सकेंगेष इसे बाहर से आरोपित नहीं किया जा सकता उसे अपने में ही आविष्कृत करना होगा।

गिरीश्वर मिश्र