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राज्यपाल से मिलने के लिए हेमंत सरकार ने मांगा समय, चुनाव आयोग के पत्र पर होगी चर्चा

रांची: झारखंड में जारी सियासी घमासान के बीच हेमंत सोरेन ने एक बार फिर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात का समय मांगा है। इस बात की पुष्टि झामुमो प्रवक्ता विनोद पांडे ने की है। जानकारी के मुताबिक, यूपीए प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात कर केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा राजभवन को भेजी गयी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करेगा। राजभवन अगर समय देता है, तो मिलने वाले यूपीए प्रतिनिधिमंडल में झामुमो, कांग्रेस और राजद के नेता के साथ-साथ विधायक और सांसद भी इसमें शामिल होंगे।

इस बीच हेमंत सोरेन ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई है। राजभवन पर दबाव बनाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र भी बुला सकती है। इसके जरिए सरकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरह खुद से विधानसभा में विश्वास मत पारित कर सकती है। विधानसभा के विशेष सत्र की घोषणा भी कैबिनेट की बैठक के बाद की जा सकती है।

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कैबिनेट बैठक के लिए रांची बुलाए गए मंत्री –

दूसरी तरफ कैबिनेट की बैठक के लिए सभी मंत्रियों को रांची बुला लिया गया है। झामुमो कोटे के मंत्री जहां पहले से ही रांची में हैं तो कांग्रेस कोटे के चार मंत्री जिन्हें रायपुर शिफ्ट किया गया था उन्हें भी बुधवार की शाम स्पेशल विमान से रांची बुला लिया गया है। राज्य में सियासी संकट के मद्देनजर झारखंड की पूरी सरकार शुक्रवार को रायपुर शिफ्ट कर सकती है। चार बजे शाम में प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में सभी देर शाम रायपुर के मेफेयर गोफ्ल रिसॉर्ट पहुंच सकते हैं।

आठ दिन से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल –

गौरतलब है कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग के मंतव्य को लेकर झारखंड में पिछले आठ दिनों से सियासी अनिश्चितता कायम है। चुनाव आयोग की अनुशंसा पर एक तरफ राजभवन मौन है, तो दूसरी तरफ सत्ताधारी गठबंधन को आशंका है कि अनिश्चितता के इस माहौल में उसके विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग हो सकती है। इसी वजह से सत्ताधारी गठबंधन के 34 विधायकों को सामूहिक रूप से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के एक रिसॉर्ट में रखा गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायकों को स्पेशल फ्लाइट से रायपुर भेजे जाने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार को अस्थिर करने का जिस तरह का षड्यंत्र चल रहा है, उसमें सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को एकजुट रखने के लिए यह कदम उठाना पड़ा है।

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