लखनऊः शहर में कोरोना के चलते बदतर हो चुकी स्थिति के बीच मरीजों की मदद के लिए बनाया कोविड कमांड सेंटर सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है। यहां पर पहुंचने वाले मरीजों व तीमारदारों को मदद नही मिल पा रही है तो फोन मिलाने पर सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिलाई जा रही है। जिसका नतीजा है कि लोग असहाय होकर इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं।
दरअसल, राजधानी में कोविड के बढ़ते मरीजों की मदद के लिए लालबाग में कोविड कंट्रोल सेंटर बनाया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस कंट्रोल सेंटर में चल रही व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंच चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी कोविड के मरीज और तीमारदारों को दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। लालबाग स्थित कोविड कमांड सेंटर पर पहुंचने पर पता चला कि यहां पर कई तीमारदार अपने मरीजों की भर्ती के लिए सीएमओ के लेटर की मांग कर रहे थे, तो कई अपने मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए आए थे। उनका कहना था कि पिछले कई दिनों से वह बस एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल और सीएमओ कार्यालय से हेल्प सेंटर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकल रहा है। यही हाल घर से हेल्पलाइन सेंटर पर फोन करने वालों का भी है।
लोगों ने बयां किया दर्द
पारा निवासी साक्षी सक्सेना अपने बीमार पति शिवम के लिए हेल्पलाइन पर फोन करती रह गईं, लेकिन उन्हें सहायता मिलने के बजाय सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा। दो मासूम बच्चों का पिता हेल्पलाइन से एक अदद फोन के इंतजार में दुनिया छोड़ गया। साक्षी ने बताया कि मैंने पहले हेल्प सेंटर कॉल की, जहां काफी मशक्कत के बाद मरीज का रजिस्ट्रेशन हुआ। उसके बाद हेल्प सेंटर से कहा गया कि बेड खाली होते ही आपके पास कॉल आएगी, लेकिन दिन पर दिन बीत जाने और मरीज की हालत बिगड़ने के बावजूद भी कोई कॉल नहीं आई। हेल्प सेंटर सिर्फ दिखावे के लिए बना दिए गए हैं, जिससे ऐसा लगे कि सरकार कुछ कर रही है। दूसरे तीमारदार राजकुमार अग्रवाल ने बताया मैं हेल्प सेंटर पर पिछले दो घंटे से खड़ा हूं। पहले मैं सीएमओ कार्यालय गया था, तो वहां कहा गया कि यहां कुछ नहीं होगा आप हेल्प सेंटर जाइए।
मैं यहां आया हूं मैंने अपने मरीज का नाम लिखवाया है, उसके बाद उन्होंने कहा कि आपके पास कॉल जाएगी। अस्पताल वाले किसी मरीज को ले ही नहीं रहे। बहुत हाथ-पैर जोड़ने के बाद निजी अस्पताल वाले ले भी रहे हैं, तो कह रहे हैं कि आप स्वयं ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कीजिए। सरकारी अस्पताल अभी भी कह रहा है कि जब तक आप सीमएओ से नहीं लिखवा लाते, तब तक मरीज भर्ती नहीं किया सकता। अपने मरीज को लेकर करीब 15 दिनों से भर्ती के लिए दौड रहे मो. शमीम ने बताया कि कंट्रोल रूम में फोन करने पर बस एक ही रटा-रटाया जवाब दिया जा रहा। जब बेड खाली होगा तब दिया जाएगा। 14 से 15 दिन में तो बेड खाली नहीं हुआ। हेल्प लाइन वाले फोन करने पर कहते हैं हम आपको नया नम्बर दे देते हैं, उस पर कॉल कर लें।
हेल्पलाइन नंबर ने दी निजी अस्पताल में भर्ती होने की सलाह
इंडिया पब्लिक खबर ने कोविड कंट्रोल सेंटर के हेल्पलाइन नंबर 0522-4523000 पर कॉल किया। 24 अप्रैल की अनीता मिश्रा निवासिनी इंदिरानगर की शिकायत पर जानकारी मांगी कि कोविड मरीज का रजिस्ट्रेशन हुआ था, आपने कहा था बाद में कॉल आएगी लेकिन अभी तक नहीं आई। इस पर हेल्प सेंटर ने जानकारी दी, ऐसा कोई जानकारी हमारे पास नहीं है। आप जिस मोबाइल नम्बर और मरीज की बात कर रहे हैं, उनका कोई रिकॉर्ड हमारे पास नही है। इसके बाद उस कर्मचारी ने मरीज को प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती होने की सलाह दे डाली।
हेलो डॉक्टर सेवा में मिलती है डॉक्टर को दिखाने की सलाह
जिलाधिकारी द्वारा घर पर क्वारंटीन मरीजों को बेहतर सलाह के लिए हेलो डॉक्टर सेवा की शुरूआत की गयी थी, पर यह सिर्फ शोपीस बना हुआ है। यहां पर फोन करने पर चिकित्सकीय नही, बल्कि दूसरे डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी जा रही है। इंडिया पब्लिक खबर ने हेलो डॉक्टर सेवा के नंबर-05223515700 पर फोन किया तो रेप्रेजेंटेटिव से बात करने के बाद फोन पर मिलीं मैडम ने डॉक्टर से मिलने की सलाह दी। अगर डॉक्टर से मिलना ही समस्या का हल है, तो हेलो डॉक्टर सेवा का मतलब ही क्या रहा ?
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बोले जिम्मेदार
इसको लेकर सीएमओ संजय भटनागर ने कहा कि कोविड हेल्प सेंटर पर प्रतिदिन औसतन 1,200 कॉल आती हैं, जिसमें हम सभी समस्याओं को हल कर पा रहे हैं। बेड उपलब्ध होने पर डॉक्टर की कॉल मरीज के मोबाइल पर जाती है, फिर जैसा डॉक्टर सलाह देते हैं, वैसा ट्रीटमेंट होता है।