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सकट चतुर्थी पर भगवान गणेश की व्रत-कथा सुनने से संतान होती है दीर्घायु

lord ganesh
 

नई दिल्लीः इस माह 31 जनवरी को सकट चौथ मनाया जाएगा। यह माघ माह की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। इस पूजा का भी हिंदू धर्मशास्त्रों में बेहद महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत कर भगवान गणेश की आराधना करने से संतान दीर्घायु होती है और उसके सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं। सकट चतुर्थी के दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। शाम के समय भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें तिल, गुड़ आदि का भोग चढ़ाया जाता है। भगवान गणेश की पूजा के पश्चात व्रती महिलाएं चंद्रमा को जल देकर व्रत पूरा करती हैं।

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सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के बाद यह कथा भी सुनी जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक सकट चौथ के दिन गणेश भगवान के जीवन पर आया संकट टल गया था। इसीलिए इसका नाम सकट चौथ पड़ा। इसे पीछे की यह कथा है कि मां पार्वती एक बार स्नान करने गईं थी और स्नानघर के बाहर उन्होंने पुत्र गणेश को खड़ा कर दिया और आदेश देते हुए कहा कि जब तक मैं स्नान कर खुद बाहर न आऊं किसी को भीतर आने की इजाजत मत देना। भगवान गणेश अपनी मां की बात मानते हुए बाहर खड़े हो गये।

उसी समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए लेकिन गणेश भगवान ने अंदर जाने की अनुमति नही दी। जिस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश भगवान पर त्रिशूल से वार कर दिया। जिससे उनकी गर्दन कटकर दूर जा गिरी। बाहर शोरगुल की आवाज सुनकर माता पार्वती बाहर आईं तो वहां का दृश्य देखकर अवाक रह गयीं। पुत्र गणेश का कटा हुआ सिर देकर माता पार्वती रोने लगी और उन्होंने शिवजी से कहा कि गणेश के प्राण फिर से वापस कर दें। इस पर शिवजी ने एक हाथी का सिर लेकर भगवान गणेश को लगा दिया। इस तरह से गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला। तभी से महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगीं। इस बार 31 जनवरी को रात 8 बजकर 24 मिनट से चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 1 फरवरी को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।