नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की ओर से राज्य विधानसभा के माध्यम से पारित 10 विधेयकों पर राज्यपाल द्वारा सहमति नहीं देने को चुनौती देने वाली तेलंगाना सरकार की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को समय दे दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 10 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान तेलंगाना सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में राज्यपाल को लंबित विधेयकों पर सहमति देने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में राज्यपाल एक हफ्ते में विधेयक पर सहमति देते हैं। गुजरात में एक महीने से ज्यादा का समय नहीं लगता। इस पर मेहता ने कहा कि उनकी राज्यपाल से बात हुई है। उन्होंने इस मामले पर आज सुनवाई टालने और 10 अप्रैल को सुनवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल को वे इस मामले में अपडेट देंगे।
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20 मार्च को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने संवैधानिक पद होने की वजह से राज्यपाल के दफ्तर को औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया था । तेलंगाना सरकार की ओर से पेश वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति आ गई है, क्योंकि राज्यपाल ने राज्य विधानसभा की ओर से पारित दस विधेयकों को मंजूरी नहीं दी है। इनमें कई महत्वपूर्ण विधेयक हैं जैसे कॉमन रिक्रूटमेंट बोर्ड बिल भी शामिल है, जो सितंबर 2022 से राज्यपाल के यहां मंजूरी के लिए लंबित है।
तेलंगाना सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि कोर्ट राज्यपाल को निर्देश दे कि वो तत्काल प्रभाव से इन बिलों को मंजूरी दे। राज्य सरकार का कहना है कि राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्व को दरकिनार कर इन बिलों को लंबित रखे हुए हैं।
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दिल्ली