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महिला कांस्टेबल की लिंग परिवर्तन की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

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प्रयागराजः ‘आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस निहित अधिकार से वंचित करते हैं या स्वीकार नहीं करते हैं तो हम सिर्फ ‘लिंग पहचान विकार सिंड्रोम’ को प्रोत्साहित करेंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ये महत्वपूर्ण फैसला महिला कांस्टेबल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने लिंग परिवर्तन कराना व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार बताया है।

सुनवाई के दौरान याची ने अदालत में कहा कि वह जेंडर डिस्फोरिया से ग्रस्त है और स्वयं को पुरुष के रूप में पहचानती है। इस वजह से वह सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी करवाना चाहती है। वहीं, अधिवक्ता के अनुसार, उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने कहा कि कभी-कभी ऐसी समस्या घातक हो सकती है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक आत्म-छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है। यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय विफल हो जाते हैं तो सर्जिकल हस्तक्षेप करना चाहिए।

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पुलिस महानिदेशक को दिए निर्देश

दरअसल, याची महिला कांस्टेबल ने 11 मार्च को पुलिस महानिदेशक के सामने इस संबंध में आवेदन किया है, जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस वजह से उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस महानिदेशक को याची की लिंग परिवर्तन कराने की मांग को जल्द सुलझाने का निर्देश दिया, साथ ही राज्य सरकार को भी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। अब मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी।

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