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जेनरिक दवाओं को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने की डॉक्टरों के साथ बैठक, IMA ने कही ये बात

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नई दिल्लीः डॉक्टरों के लिए सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखने के नए नियम को लेकर सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल मेडिकल एसोसिएशन के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष भी मौजूद थे। कई डॉक्टर एनएमसी के नये निर्देश का विरोध कर रहे थे। बैठक के बाद आईएमए अध्यक्ष शरद कुमार अग्रवाल ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों के पक्ष को सुना। आईएमए ने कहा मुलाकात सकारात्मक रही।

एनएमसी के गजट नोटिफिकेशन में रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर यानी आरएमपी के लिए कई नियम, कानून और दिशानिर्देश लाए गए हैं। इस अधिसूचना में डॉक्टरों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही वे किसी भी जांच के लिए किसी भी डायग्नोस्टिक लैब से कोई छूट या छूट नहीं ले सकते, कोई भी डॉक्टर कमीशन या कटौती नहीं ले सकता।

डॉक्टर किसी भी प्रकार के उत्पाद को अपनी ओर से प्रमाणित नहीं करेंगे, मरीज को किसी उत्पाद या सामान की अनुशंसा नहीं कर सकेंगे, निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर को मरीज का स्वास्थ्य रिकॉर्ड तीन साल तक रखना होगा, यदि कोई अन्य डॉक्टर गलत है या यदि डॉक्टर अनैतिक कार्य कर रहा है तो डॉक्टरों को बिना किसी डर के बताना होगा, यदि डॉक्टर दिए गए समय पर मरीज के पास नहीं आ पाता है तो मरीज को इसकी जानकारी देनी होगी, यदि मरीज दुर्व्यवहार करता है, गाली-गलौज करता है या झगड़ा करने लगे तो डॉक्टर इलाज करने से मना कर सकता है और इसकी शिकायत भी कर सकता है।

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नए नियमों के मुताबिक, कोई डॉक्टर या उसके परिवार के सदस्य किसी भी फार्मा कंपनी, मेडिकल डिवाइस कंपनी, अस्पताल या उनके प्रतिनिधि से किसी भी तरह का उपहार, यात्रा, होटल जैसी सेवाएं, नकद या किसी भी तरह का शुल्क, मनोरंजन नहीं ले सकते हैं। डॉक्टर ऐसे किसी सेमिनार में भी नहीं जा सकते जो किसी फार्मा कंपनी द्वारा प्रायोजित हो।

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