देश Featured

हाई कोर्ट ने आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

court

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति में सरकार की अधिगृहित कंपनी या सोसायटी को शराब के खुदरा व्यापार का लाइसेंस नहीं देने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार से 27 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिका दिल्ली कंज्युमर कोआपरेटिव होलसेल स्टोर कर्मचारी युनियन ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील सत्या सभरवाल ने कहा कि नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से दिल्ली कंज्युमर कोआपरेटिव होलसेल स्टोर लिमिटेड में काम करनेवाले कर्मचारियों के रोजगार पर असर पड़ेगा। ये कंपनी दिल्ली में 75 शराब स्टोर का संचालन करती है। नई आबकारी नीति के इस प्रावधान से कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं मिलेगा जिससे ये कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। इससे करीब साढ़े तीन सौ परिवारों पर असर पड़ेगा।

याचिका में कहा गया है कि इस कंपनी में दिल्ली सरकार का बड़ा शेयर है। नई आबकारी नीति के प्रावधान की वजह से इस कंपनी को शराब बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। ये प्रावधान रोजगार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान रोजगार का संकट नहीं होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने कहा कि ये याचिका कर्मचारियों की आड़ में कंपनी ने दायर किया है। इन्हें कई याचिकाओं को दायर करने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली है।

बतादें कि नई आबकारी नीति के कई प्रावधानों को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने नई आबकारी नीति में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष करने के प्रावधान को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिकाओं में दिल्ली सरकार की ओर से पिछले 28 जून को जारी ई-टेंडर नोटिस को वापस लेने की भी मांग की गई है। दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति भ्रष्टाचार को कम करने की कोशिश की गई है।