22 हफ्ते का भ्रूण हटाने की याचिका पर एम्स को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला की 22 हफ्ते का भ्रूण हटाने की अनुमति देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने एम्स को दो अगस्त तक महिला का परीक्षण भ्रूण की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा कि वो 22 हफ्ते की गर्भवती है। उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद पता चला कि उसमें कई गड़बड़ियां हैं। उसके पैर, रीढ़ की हड्डी और दिमाग में गड़बड़ी है। मुखर्जी ने कहा कि उस भ्रूण को पूरे समय तक रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि भ्रूण के जन्म के बाद बच्चा बच नहीं पाएगा। ऐसा होने पर महिला को मानसिक और शारीरिक यंत्रणा से गुजरना पड़ेगा।

मुखर्जी की इस दलील के बाद कोर्ट ने एम्स प्रशासन को निर्देश दिया कि वो तत्काल महिला के भ्रूण के स्वास्थ्य का परीक्षण कर रिपोर्ट दें। कोर्ट ने एम्स को निर्देश दिया कि वो ये बताएं कि महिला का भ्रूण पूरे गर्भकाल के दौरान बच पाएगा कि नहीं।

बतादें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं है। 12 से 20 हफ्ते के भ्रूण को तभी हटाया जा सकता है जब दो डॉक्टरों का पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भ्रूण महिला के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।