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Happy Birthday वीरेंद्र सहवागः जिसने बदल दी टेस्ट क्रिकेट की परिभाषा, जब बचपन में लगाए थे बीड़ी के कश…

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़कर एक दिग्गज खिलाड़ी हुए हैं। इन्हीं दिग्गजों में एक नाम शामिल है दुनिया के विस्फोटक खिलाड़ियों में गिने जाने वाले ‘नजबगढ़ के नवाब’ वीरेंद्र सहवाग का। सहवाग को मॉडर्न क्रिकेट का जनक भी कहा जाता है। क्योंकि वो सहवाग ही हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट के अंदाज को बदल दिया। उन्होंने टेस्ट में भी वनडे के अंदाज में बल्लेबाजी की। यही कारण था कि सहवाग के सामने गेंदबाजी करने से हर गेंदबाज घबराता था।

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क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाले सहवाग ने जब खेलना शुरू किया तो क्रिकेट की शैली को ही बदल कर रख दिया। यही कारण रहा कि सहवाग ने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। वो भारत की तरफ से टेस्ट में तिहरा शतक लगाने वाले देश के पहले खिलाड़ी हैं। वहीं वीरू के नाम दुनिया का सबसे तेज तिहरा शतक लगाने का भी रिकॉर्ड है। उन्होंने 300 रनों के आंकड़े को सिर्फ 278 गेंदों में पूरा किया। उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 2 तिहरे शतक जड़े हैं। सिर्फ टेस्ट ही नहीं सहवाग ने वनडे में भी अपनी आक्रामक शैली से गेंदबाजों की बखिया उधेड़ी। सहवाग वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले सचिन के बाद दुनिया के दूसरे बल्लेबाज बने।

2015 में लिया था संन्यास

उन्होंने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 219 रनों की विध्वंसक पारी खेली थी। इतना ही नहीं सहवाग के नाम कई दिनों तक वनडे में भारत की तरफ से सबसे तेज शतक लगाने का रिकॉर्ड भी रहा, जो उन्होंने 60 गेंदों में पूरा किया था। सहवाग टेस्ट में तिहरा और वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बने, बाद में क्रिस गेल ने भी ये कारनामा किया। 2008 में सहवाग ‘विस्डन क्रिकेटर ऑफ द वर्ल्ड’ का खिताब पाने वाले पहले भारतीय बने। सहवाग ने कई मैचों में भारत की टेस्ट और वनडे टीम का नेतृत्व भी किया, मगर वो कभी भी टीम के पर्मानेंट कप्तान नहीं रहे। हालांकि वो टेस्ट और वनडे टीम के उपकप्तान काफी दिनों तक रहे।

सहवाग बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी हाथ आजमाते थे और उन्होंने कई मौकों पर टीम के लिए उपयोगी गेंदबाज की भूमिका निभाते हुए जीत दिलाई। सहवाग भारत के 2007 टी20 और 2011 वनडे विश्वकप विजेता टीम के सदस्य भी रहे और उन्होंने टूर्नामेंट में अहम भूमिका भी निभाई। सहवाग ने साल 2015 में अपने जन्मदिन पर यानि 20 अक्टूबर को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से सन्यास का ऐलान किया। 20 अक्टूबर 2021 को सहवाग अपना 43वां जन्मदिन मना रहे हैं। जानते हैं कैसे बने सहवाग वीरू से ‘मुल्तान के सुल्तान’।

बचपन में लगाई थे बीड़ी के कश

20 अक्टूबर 1978 को हरियाणा के एक जाट परिवार में जन्में वीरेंद्र सहवाग को क्रिकेट के प्रति लगाव सिर्फ सात माह की उम्र से ही जाग गया था, जब उनके पिता ने पहली बार उन्हें गिफ्ट में बैट दिया था। इसके बाद बारह साल की उम्र में वह क्रिकेट के दौरान अपना दांत तुड़वाकर घर पहुंचे तो पिता ने क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया था। यह बैन उनकी मां के हस्तक्षेप के बाद ही टूट पाया था। यही नहीं वीरू बचपन से ही काफी शरारती थे। यहां तक की एक बार तो उन्होंने शरारत-शरारत में अपने पिता का बीड़ी का बंडल भी चुरा लिया था।

बीड़ी चुराने के बाद वीरू और उनका कजिन घर के पास बने अस्पताल की दीवार पर बैठकर बीड़ी के कश लगाने लगे। जैसे ही सहवाग की मां को इस बारे में पता चला उन्होंने उनकी चप्पलों और डंडों से खूब पिटाई की। उसके बाद तो क्रिकेट उनका हमेशा पहला प्यार बना स्कूल में खेलते हुए उनकी पहचान एक आक्रामक खिलाड़ी के रूप में बनी, यहां उनके कोच रहे अमर नाथ शर्मा ने उन्हें और भी निखारा। सहवाग ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से की।

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इस दौरान उन्होंने अपने क्रिकेट के प्रति लगाव को बनाए रखा और क्रिकेट खेलते रहे। सहवाग ने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरूआत 1997-98 में दिलीप ट्रॉफी के लिए नॉर्थ जोन क्रिकेट टीम से की। यहां रन स्कोरिंग लिस्ट में उनका नाम 5वें स्थान पर रहा। कड़ी मेहनत के बाद अगले साल सहवाग का नाम चौथे स्थान पर रहा। इस दौरान सहवाग ने 274 और 187 रनों की ताबड़तोड़ पारियां खेलीं। यहां शानदार प्रदर्शन का ईनाम सहवाग को अंडर-19 टीम में सेलेक्ट होकर मिला। यहां सहवाग ने शानदार प्रदर्शन कर दो शतक जड़े। यहां बेहतरीन प्रदर्शन से सहवाग चयनकर्ताओं की नज़र में आ गए।

ऐसे बने दुनिया के विस्फोटक ओपनर

मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में करियर की शुरूआत करने वाले सहवाग एक हादसे के चलते दुनिया के सबसे बड़े और विध्वंसक सलामी बल्लेबाज बन गए। दरअसल उनको सलामी बल्लेबाज के रुप पहला मौका तब मिला जब सचिन तेंदुलकर चोटिल हो गए। ऐसे में कोच जॉन राइट के साथ मिलकर कप्तान सौरव गांगुली ने एक दांव खेला। बेहद फिसड्डी रिकॉर्ड वाले इस खिलाड़ी ने तब तक 15 के बेहज खरबा औसत से 15 वन-डे में कुल 169 रन ही बनाए थे। न्यूजीलैंड के 264 रन के जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय पारी की पहली ही गेंद पर इस खिलाड़ी ने जबरदस्त चौका जड़ा।

जल्द ही यह खिलाड़ी अर्धशतक तक पहुंच गया और देखते ही देखते अपना शतक भी पूरा कर लिया। 69 गेंदों में 19 चौकों और एक छक्के की मदद से खेली गई इस विस्फोटक पारी ने न सिर्फ भारत को फाइनल में पहुंचाया बल्कि 22 साल के वीरेंद्र सहवाग के रूप में भारतीय क्रिकेट को उसका सबसे विस्फोटक बल्लेबाज भी दे दिया। बाद में सहवाग ने वनडे में अपने विस्फोटक अंदाज से सभी को प्रभावित किया और भारत ही नहीं दुनिया के सबसे आक्रामक बल्लेबाजों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराया। सहवाग ने 251 वनडे मैचों में 15 शतक और 38 अर्धशतक के साथ 35.05 के औसत से 8,273 रन बनाए, साथ ही 96 विकेट भी अपने नाम किए। इस दौरान उनका सर्वोच्च स्कोर 219 रहा।

बदली टेस्ट क्रिकेट की परिभाषा

सहवाग सिर्फ वनडे में ही गेंदबाजों के लिए किसी काल से कम नहीं थे, बल्कि वो टेस्ट में भी उसी तरह से गेंदबाजों की बखिया उधेड़ते थे। टेस्ट में सहवाग की आक्रामकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि क्रिकेट के इस सबसे लंबे फॉर्मेट में भी सहवाग का स्ट्राइक रेट 82.23 का है, जो टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा। सहवाग ने अपने टेस्ट क्रिकेट की शुरूआत साल 2001 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ की। अपने पहले मैच में सहवाग एक मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में उतरे। सहवाग ने अपने खतरनाक इरादे पहले मैच में ही जाहिर कर दिए। उन्होंने अपने पदार्पण मैच में ही 105 रनों की शानदार पारी खेली। पहले मैच से शुरू हुआ ये सफर आगे भी जारी रहा और देखते-देखते सहवाग टेस्ट क्रिकेट के दिग्गज क्रिकेटरों में शामिल होगे।

सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी के अंदाज को बदल दिया। जहां सभी इसमें रुक खेलने की कोशिश करते थे, वहीं सहवाग आते ही चौकों-छक्कों की बरसात करने लग जाते थे।सहवाग ने अपने टेस्ट करियर में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। सहवाग भारत की ओर से सर्वाधिक 6 दोहरे शतक बनाने वाले बल्लेबाज हैं। सहवाग को बड़े-बड़े शतक बनाने की आदत रही है। इसके अलावा वो भारत की तरफ से तिहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी हैं साथ ही टेस्ट में भारत की तरफ से सर्वोच्च स्कोर 319 भी सहवाग के ही नाम है।

सहवाग के नाम सबसे तेज तिहरा शतक (278 गेंद) और साथ ही सबसे तेज 250 रनों (207 गेंद) का रिकॉर्ड दर्ज है। वो 3 तिहरे शतक लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने से सिर्फ 7 रनों से चूक गए। जब मुंबई में श्रीलंका के ख़िलाफ़ मुथैया मुरलीधरन ने उन्हें 293 रनों के स्कोर पर आउट कर दिया। सहवाग ने 104 टेस्ट में 49.34 के शानदार औसत से 8,586 रन बनाए, जिसमें 23 शतक और 32 अर्धशतक भी शामिल हैं। इन शतकों में सहवाग ने 6 दोहरे शतक और 2 तिहरे शतक भी जड़े हैं। इसके अलावा सहवाग ने 40 टेस्ट विकेट भी अपने नाम किए हैं। सहवाग वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट की परिभाष बदली। यही कारण है कि आज भी सहवाग को टेस्ट क्रिकेट के एक दिग्गज के रूप में याद किया जाता है।

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