छत्तीसगढ़ करियर

मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षक, स्कूल में पढ़ा रहे छात्र और रसोइया

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रायपुर: महंगाई भत्ता एवं गृह भत्ता की मांग को लेकर बुधवार को प्रदेशस्तर पर शिक्षक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में जिले के स्कूलों (schools) में बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई। स्कूलों में कहीं रसोईया तो कहीं स्कूली छात्र छोटे बच्चों को पढ़ाते नजर आए। कई स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के बाद छुट्टी हो गई। हड़ताल के चलते बच्चे खेल परिसर को तो कहीं आस-पास खेलते हुए नजर आए।

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धमतरी जिले से लगे ग्राम पंचायत भटगांव में हड़ताल के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। यहां रसोइया बच्चों को पढ़ाते नजर आए। कई स्कूलों (schools) में बच्चों को संभालते हुए दिखे। इसी तरह का हाल धमतरी शहर से लगे ग्राम पंचायत शंकरदाह, अर्जुनी, मुजगहन, श्यामतराई, करेठा, अछोटा सहित अन्य स्कूलों (schools) में देखने को मिला। मालूम हो कि छत्तीसगढ़ शासन कर्मचारी महंगाई भत्ता एवं गृह भत्ता के लिए एक दिवसीय हड़ताल पर हैं। छत्तीसगढ़ शारीरिक शिक्षा शिक्षक संघ के आह्वान पर धमतरी जिले के समस्त व्यायाम शिक्षक अपने-अपने ब्लाक में कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के धरना स्थल में शामिल हो रहे हैं।

छठवीं क्लास को आठवीं की छात्राओं ने पढ़ाया -

ग्राम पंचायत कुरूद ब्लाॅक के ग्राम पंचायत कोर्रा के प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में कक्षा आठवीं के छात्र अपने जूनियर छात्रों को पढ़ाते नजर आए। यहां कक्षा छठवीं के छात्र- छात्राओं को आठवीं की छात्रा चारु धारा साहू, मोनिका साहू, टारिणी साहू विषय को पढ़ाती नजर आई। उनका कहना है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों को शाला प्रवेशोत्सव के बाद पढ़ाई को लेकर खासा उत्साह रहता है। उनके उत्साह में कमी ना हो इसलिए हम लोगों ने बारी-बारी से घंटेभर तक कक्षा छठवीं के छात्रों को पढ़ाया। इसी तरह कई अन्य स्कूलों (schools) में सीनियर छात्र अपने जूनियर छात्रों को पढ़ाते हुए नजर आए।

पढ़ाई बंद कर हड़ताल उचित नहीं -

बच्चों के पालक रघुवीर प्रसाद देवांगन, देवेंद्र निर्मलकर, भूपेंद्र निर्मलकर ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई को लेकर शासकीय कर्मचारी अक्सर स्कूल खुलने के बाद इसी तरह का धरना प्रदर्शन करते हैं। जब गर्मी की छुट्टियां होती हैं उस समय वे अपना धरना प्रदर्शन नहीं करते। बच्चों की पढ़ाई से उन्हें सरोकार नहीं है। अधिकांश शासकीय स्कूल में अध्यापन करने वाले शिक्षक अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों (schools) में दाखिला करा लेते हैं और और वे स्वयं इस तरह का धरना प्रदर्शन करते हैं। स्कूल खुले हुए मुश्किल से 15 दिन ही हुए हैं और अभी से इनका धरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई को बाधित किए बिना भी अपना विरोध जताया जा सकता है, लेकिन इन दिनों स्कूलों की पढ़ाई को बंद कर प्रदर्शन करना आम बात हो गई है।

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