नई दिल्ली: वाहनों के लिए वीआईपी नंबर लेने के शौकीन लोगों को अब भारी भरकम जीएसटी चुकाना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जीएसटी दरों की समीक्षा और उन्हें युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) को वाहनों के वीआईपी नंबरों पर जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है। जीओएम की बैठक 20 अक्टूबर को होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में वीआईपी नंबरों पर 18 से 28 फीसदी जीएसटी लगाया जा सकता है।
लाखों रुपए की लगती है बोली
क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से वाहनों को स्पेशल या वीआईपी नंबर जारी किए जाते हैं। इसके लिए वाहन खरीदार को अतिरिक्त पैसे देने होते हैं। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय कुछ स्पेशल नंबरों के लिए नीलामी भी करता है, जिसमें कई बार लाखों रुपये की बोलियां लग जाती हैं। फिलहाल वाहनों के वीआईपी या स्पेशल नंबरों के लिए नीलामी की रकम के अलावा कोई पैसा नहीं लगता और न ही इस पर किसी तरह का टैक्स लगता है। जहां तक वीआईपी या स्पेशल नंबरों की नीलामी में खर्च होने वाली रकम का सवाल है तो 0001 से 0009 जैसे नंबरों के लिए 20 से 30 लाख रुपये तक की बोलियां लगती हैं। इसी तरह 0786, 1008 जैसे धार्मिक महत्व वाले नंबरों पर 10 से 15 लाख रुपये तक की बोली लगती है।
सरकार की आय में होगा इजाफा
1111, 2222, 3333 से 9999 जैसे सीरीज नंबरों पर 3 से 5 लाख रुपये तक की बोली लगती है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए सुझाव में कहा गया है कि चुनिंदा वीआईपी या खास नंबरों पर लाखों रुपये खर्च करने वाले लोग इस पर आसानी से 18 से 28 फीसदी जीएसटी चुका सकते हैं, जिससे सरकार की आय में इजाफा हो सकता है। 20 अक्टूबर को मंत्रिसमूह की बैठक में करीब 100 वस्तुओं की जीएसटी दरों की समीक्षा की जानी है। इस दौरान वाहनों के वीआईपी या खास नंबरों पर जीएसटी लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा सकता है।
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मंत्रिसमूह की बैठक में हो सकते हैं ये फैसले
मंत्रिसमूह की बैठक में हेयर ड्रायर और डिशवॉशर जैसे सफेद वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ाने के मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है। इसके अलावा फुटवियर, कपड़ा और खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी की दर कम करने के मुद्दे पर भी विचार किया जा सकता है। इस बैठक में विभिन्न राज्य सरकारों से प्राप्त सुझावों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
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