कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति में भारी चूक होने का दावा किया है। लोकायुक्त नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को पहले अधिसूचना जारी और नेता प्रतिपक्ष की राय लेना चाहिए थी। इसलिए इस प्रस्ताव के संविधान से परे होने पर मंजूरी नहीं दी गई।
दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यपाल धनखड़ पर लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल रोककर रखने का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को लोकायुक्त नियुक्त करने का प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा है।
इस संबंध में गवर्नर ने सोमवार को अपना एक पत्र ट्विटर पर अपलोड किया है, जो उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह में लिखा था। इसमें राज्यपाल ने बताया है कि नियमानुसार लोकायुक्त की नियुक्ति नेता प्रतिपक्ष की सहमति से होनी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया है। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इस संबंध में खुद उन्हें शिकायत की है।
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इसके अलावा लोकायुक्त का नाम फाइनल करने से पहले नेता प्रतिपक्ष की सलाह ली जाती है, जो नहीं ली गई है। इसके अलावा लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर पहले से अधिसूचना जारी की जानी चाहिए जो राज्य सरकार ने नहीं किया है। इस नियुक्ति में बड़ी गलती हुई है और संविधान से परे है, इसलिए इसे सहमति नहीं दी गई है। इसके अलावा राज्यपाल ने यह भी दावा किया है कि इन तमाम खामियों को लेकर उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से इस बारे में रिपोर्ट भी मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
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