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राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा- युवाओं को स्किल डेवलमेंट बढ़ाने वाली शिक्षा की जरूरत

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जयपुरः राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने प्रदेश में कौशल विकास (Skill Development) से जुड़ी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कौशल विकास से जुड़े ऐसे पाठ्यक्रमों का अध्ययन सुनिश्चित करें, जो विद्यार्थियों में मौलिक चिंतन शक्ति विकसित कर उन्हें भावी जीवन के लिए सक्षम बना सकें। राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कौशल शिक्षा को देश के आर्थिक विकास का मुख्य आधार बताते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए विद्यार्थियों को स्थानीय कौशल में दक्ष बनाने के लिए अधिकाधिक प्रयास किए जाने चाहिए।

निर्माण से जुड़े कौशलों देने चाहिए जोर

उन्होंने विद्यार्थियों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के माध्यम से “विकसित भारत” के लिए कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय का नाम विश्वकर्मा रखे जाने की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वकर्मा ही वह देवता हैं जो इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में शिल्पकार, कारीगर, कारीगर, श्रमिक तथा जीवन के लिए सभी सुविधाएं प्रदान करने वाली वस्तुओं का निर्माण करते हैं। विश्वकर्मा शब्द का अर्थ ही संसार का निर्माता है। उन्होंने विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को जीवन निर्माण से जुड़े कौशलों में दक्ष बनाने पर जोर दिया। राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा केवल औपचारिक न होकर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास से भी जुड़ी होनी चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति के आलोक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभावी एवं सकारात्मक उपयोग करते हुए क्रियात्मक, स्व-प्रबंधन एवं विशेष ज्ञान कौशल से जुड़ी शिक्षा का विशेष प्रचार-प्रसार करने का आह्वान किया।

प्रदेश सरकार लगातार कर रही प्रयास

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर पोषित ‘आत्मनिर्भर भारत’ एवं ‘विकसित भारत 2047’ की संकल्पना भी तभी संभव है जब देश कौशल विकास में सक्षम होगा। उन्होंने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि वह भारत को सर्वोत्तम कौशल से जुड़े मानव संसाधन उपलब्ध कराने का माध्यम बने। प्रदेश के कौशल विकास मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कारगिल दिवस पर देश के सैनिकों को याद करते हुए युवाओं से भारत की शौर्य की महान परंपरा से प्रेरणा लेकर कौशल विकास में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर देश में 1 करोड़ 40 लाख युवा कौशल में दक्ष हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कौशल के लिए कोई पाठ्यक्रम नहीं होता।

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उन्होंने कहा कि विरासत को नवाचार से जोड़ने और युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष बनाने के लिए देश और प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है। केंद्र और राज्य के बजट में कौशल विकास के अवसर बढ़ाने पर अधिक जोर दिया गया है। इससे पहले कुलपति प्रो. देवस्वरूप ने विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्य के साथ पाठ्यक्रमों की जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रारंभ में राज्यपाल ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन करवाया और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

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