नई दिल्लीः शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष के विचारों को सुने बिना किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) संशोधन विधेयक संसद में पारित कर दिया गया, यह “” ‘न्याय विरोधी’ कदम है।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “आज जिस तरह किशोर न्याय विधेयक विपक्ष के सदस्यों के विचारों को सुने बिना राज्यसभा में पारित किया गया, वह सरकार के अहंकार को दर्शाता है। ये संशोधन न्याय विरोधी हैं और यह बच्चों के खिलाफ काम है।” उन्होंने कहा कि जेजेबी संशोधन विधेयक उन चुनौतियों से बेखबर है जो आश्रय गृहों में किशोर किस हाल में रह रहे हैं और गोद लेने के लिए लोगों के आवेदन लंबित हैं।
उन्होंने कहा, यह दिखाता है कि सरकार कितनी बेशर्मी से सत्ता के केंद्रीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बिल अदालत के बजाय जिला मजिस्ट्रेटों को किसी बच्चे के भाग्य का फैसला करने का अधिकार देता है।
उसने कहा, वे (डीएम) न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना आश्रय घरों, अनुपालन, गोद लेने पर फैसला लेने का एकमात्र व्यापक अधिकारी बन जाएंगे। इस तरह का बुलडोजिंग सरकार की बेरहमी और अहंकार को दर्शाता है। उनकी टिप्पणी जेजेबी विधेयक के बाद आई है, जिसे पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किया जा चुका है, अब राज्यसभा में पारित किया गया।