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बिहार में शराब के चक्रव्यूह को तोड़ने में सरकार नाकाम, आंकड़े देख दंग रह जाएंगे आप

पटना: पुलिस के आंकड़े बिहार में शराबबंदी कानून की हकीकत बताने के लिए काफी हैं। इस वर्ष- 2021 में बिहार में 38 लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की गई है। 62 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 100 से ऊपर लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद हर दिन शराब की बड़ी खेप पकड़ी जा रही है।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस महज एक चौथाई मामले पकड़ पाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी बरामदगी के बाद भी शराब तस्करों पर लगाम क्यों नहीं कसी जा सकी। ऐसे कई सवालों से घिरी बिहार पुलिस अब अपनी दाग धुलने में जुटी है।

जहरीली शराब से मौत की बात करें तो बीते 13 दिनों में राज्य के गोपालगंज-पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिलों में 49 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है। विपक्ष जहरीली शराब के मुद्दे पर आक्रामक है। राजनीतिक दल सरकार को हर स्तर पर घेरने में जुटे हैं। ऐसे में बिहार पुलिस आंकड़ों से सरकार को बचाने में जुट गई है।

बिहार पुलिस आंकड़ों के माध्यम से यह बताने की कोशिश कर रही है कि राज्य में शराबबंदी कानून प्रभावी है। हालांकि, यही आंकड़े सवाल उठा रहे हैं कि शराब आ कहां से रही है? बिहार पुलिस के मुताबिक इस साल-2021 में जनवरी से अक्टूबर तक शराबबंदी कानून के तहत छापेमारी कर कुल 49,900 मामले दर्ज किए गए हैं। इस दौरान 12,93,229 लीटर देसी और 25,79,415 लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है।

पुलिस के मुताबिक 62,140 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। इस दौरान 12,200 वाहनों को भी जब्त किये गए हैं। पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार किए गए 62,140 लोगों में 1590 बिहार के बाहर के शराब तस्कर हैं। पुलिस का यह आंकड़ा बता रहा है कि बड़ी कार्रवाई के बाद भी शराब की तस्करी जारी है। अक्टूबर तक हुई इस कार्रवाई के बाद नवंबर में शराब जहर हुई और बिहार में कई परिवारों पर कहर बनकर टूटी है।

भारतीय पुलिस सेवा (भाप्रसे) के अधिकारी से प्रदेश सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री बने सुनील कुमार के मंत्रालय में अवर मुख्य सचिव आईएएस चैतन्य प्रसाद हैं। चैतन्य प्रसाद के बाद एक्साइज कमिश्नर आईएएस बी. कार्तिकेय धनजी हैं। दो-दो ज्वाइंट सेक्रेटरी और डिप्टी कमिश्नर भी हैं। छह से ज्यादा कमिश्नर हैं। राज्य के 38 जिलों में 90 उत्पाद निरीक्षक हैं। एक हजार से ज्यादा थाने हैं। हजारों पुलिसवाले हैं। मंत्री से लेकर संतरी तक मुस्तैद हैं, तो फिर शराब कैसे लोगों तक पहुंच रही है।

यहां तक कि सीएम नीतीश कुमार जिन्होंने पांच साल पहले शराबबंदी लागू करने का फैसला किया था, वो भी फेल दिख रहे हैं। वो कार्रवाई की बात तो कहते हैं लेकिन कार्रवाई होती नहीं है। बहरहाल, कानून है तो उसका पालन भी होना चाहिए, लेकिन सरकार तंत्र पर भारी सिंडिकेट को कैसे ध्वस्त किया जाएगा ये बड़ा सवाल है। क्योंकि, बिना चैनल को ध्वस्त किए शराबबंदी कानून लागू करना मुश्किल है।

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बिहार में शराब तस्करी के पांच प्रमुख जिले

बिहार में शराब तस्करी में कई जिले काफी चर्चा में रहे हैं। इसमें टॉप पर वैशाली रहा है। यहां सबसे अधिक शराब की बरामदगी हुई है, जबकि तस्करों की गिरफ्तारी में पटना आगे रहा है। क्योंकि, राजधानी में शराब की होम डिलेवरी जारी है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में शराब की खेप और तस्करों की सक्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ी है। शराब तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए पूरे साल घेराबंदी की गई। इसके बावजूद तस्करी जारी है। जब जहरीली शराब से मौतों के मामले सामने आए तब सरकार गंभीर हुई है।

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