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स्कन्द षष्ठी के दिन होती है गौरीसुत भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

नई दिल्लीः हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कन्द षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र कार्तिकेय की आराधना की जाती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा से स्कन्द माता भी बेहद प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की पूजा बड़े ही विधि-विधान के साथ की जाती है। भगवान कार्तिकेय को महासेन, स्कंद देव, पार्वतीनन्दन, षडानन, मुरुगन, सुब्रह्मन्य आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से भक्त को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। इसके साथ ही भक्त के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

स्कन्द षष्ठी शुभ मुहूर्त
स्कंद षष्ठी 7 जनवरी को 11 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 8 जनवरी को 10 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी।

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स्कन्द षष्ठी पूजा की विधि
स्कन्द षष्ठी के दिन भक्त को प्रातःकाल के समय नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के पश्चात स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। अब पूजा घर में गौरी सुत कार्तिकेयर की प्रतिमा को स्नान करार चौकी पर स्थापित करें। फिर उन्हें वस्त्र, मौसम फल, फूल, मिष्ठान, दीपक, धूप, दूध, मेवा अर्पित करें। इसके बाद चंदन और अक्षत से तिलक करें। अंत में आरती अवश्य करें। इसी तरह शाम के समय भी कीर्तन-भजन और आरती के बाद फलाहार करें।

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