Gorakhpur Air Quality: प्रदूषण के मामले में गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र की स्थिति खराब होती जा रही है। यहां पिछले तीन दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 223 से बढ़कर 242 हो गया है। लंबे समय तक ‘खराब’ हवा के संपर्क में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को सांस लेने में समस्या हो सकती है। गोरखपुर के हृदयस्थल और व्यावसायिक क्षेत्र गोलघर में भी AQI 185 से 193 तक पहुंच गया है। यह फेफड़े, हृदय और अस्थमा के रोगियों के लिए अच्छा नहीं है।
सांस के रोगियों की बढ़ी समस्या
एमएमएमयूटी के आवासीय परिसरों की निगरानी में एक्यूआई 131 से 149 तक दर्ज किया जा रहा है। हवा की यह गुणवत्ता अच्छी नहीं मानी जाती है। इससे फेफड़े, हृदय और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश अग्रवाल के मुताबिक ऐसे माहौल में सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को होती है। एमएमएमयूटी सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक सहायक पर्यावरण सत्येन्द्रनाथ यादव का कहना है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की परियोजना राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी योजना के तहत जलकल, एमएमएमयूटी और गीडा में उपकरण लगाए गए हैं। पूरे वर्ष में 104 दिनों तक इसकी मैन्युअल रूप से निगरानी की जाती है।
हेरिटेज फाउंडेशन ने जताई चिंता
वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था हेरिटेज फाउंडेशन ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की है और मांग की है कि इस मामले पर विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए और एक योजना बनाई जानी चाहिए, ताकि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को उनके स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव से बचाया जा सके। बढ़ते प्रदूषण पर तुरंत काबू पाने के लिए नगर निगम सड़कों की रात्रिकालीन मशीनीकृत सफाई और मैन्युअल सफाई करा रहा है। ताकि दिन में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सफाई के दौरान ज्यादा धूल के कण न उड़ें। पिछले तीन दिनों से एमएमएमयूटी और इसके आसपास के इलाकों में स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी का छिड़काव नियमित रूप से किया जा रहा है।
सड़कों और मोहल्लों की सफाई के बाद एकत्र हुए कूड़े को तुरंत उठाया जा रहा है। इस संबंध में गोरखपुर के नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल का कहना है कि शहर में चल रहे ढांचागत निर्माण जैसे सड़क, फ्लाईओवर, नाली निर्माण, एंड टू एंड पेविंग कार्य के कारण धूल के कण अधिक हैं। नियमित पानी छिड़काव के लिए कार्यदायी संस्थाओं को पत्र लिखा जाएगा। पश्चिम और स्थानीय स्तर पर पराली जलाने की घटनाओं से भी प्रदूषण बढ़ रहा है।
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राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, गोंडा के निदेशक एवं पर्यावरणविद् प्रो. गोविंद पांडे का कहना है कि परिवेशीय वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी सरकारी संस्थानों और नागरिकों को समन्वित प्रयास करने होंगे। उत्सर्जन अध्ययन, स्रोत प्रभाजन अध्ययन, वहन क्षमता अध्ययन कर एक व्यापक कार्य योजना तैयार की गई। कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों और वाहनों के धुएं से निकलने वाले लियोसेल जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कणों की मात्रा को नियंत्रित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसके लिए आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को गंभीरता दिखानी होगी। लाल बत्ती पर वाहनों के इंजन बंद कर देने चाहिए। निर्माण स्थलों, निर्माण सामग्री को ढका जाना चाहिए और पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए। सड़कों एवं फ्लाईओवरों से धूल के कण हटाये जायें। संयुक्त प्रयास से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।
प्रदूषण की स्थिति-
वाणिज्यिक क्षेत्र, जलकल भवन गोलघर (औसत)
दिनांक-PM10-SO2-NO2-AQI
- 06 नवंबर- 227.14-30.87-2.87-185
- 07 नवंबर- 232.49-28.16-3.19-188
- 08 नवम्बर-239.75-31.47-2.95-193
औद्योगिक क्षेत्र भारत ग्लाइकोल (औसत)
दिनांक-PM10-SO2-NO2-AQI
- 06 नवम्बर-273.13-20.97-56.84-223
- 07 नवम्बर-292.27-23.26-54.42-242
- 08 नवम्बर-289.69-22.04-55.27-240
आवासीय क्षेत्र एमएमएमयूटी (औसत)
दिनांक-PM10-SO2-NO2-AQI
- 06 नवम्बर-146.52-18.93- 01.63-131
- 07 नवंबर-149.43-20.37- 01.61-133
- 08 नवंबर-173.81-21.54- 01.67-149
- 09 नवंबर-159.38-26.48- 01.69-140
AQI रेंज-एयर कंडीशन-स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव
- 0-50-अच्छा-बहुत कम प्रभाव51-100-ओके-संवेदनशील लोगों के लिए हल्की श्वसन समस्याएं
- 101-200 – ठीक नहीं – फेफड़े, हृदय और अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है।
- 201-300-खराब- लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस लेने में दिक्कत होना।
- 301-400- बहुत खराब- लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस संबंधी बीमारी का खतरा।
- – 401-500-खतरनाक – स्वस्थ लोगों पर भी असर करता है, पहले से बीमार हैं तो खतरा ज्यादा।
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